जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज "जल्द से जल्द" विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की और राजभवन में चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया। गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केंद्र सरकार के "दबाव में" बहुमत परीक्षण को रोक रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी है। साथ ही उन्होंने विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर राज्यपाल पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, "हमने उनसे कल एक पत्र में सत्र बुलाने का अनुरोध किया और हमने पूरी रात इंतजार किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।" उन्होंने कहा, "हम अपने बहुमत को साबित करने के लिए तैयार हैं। विपक्ष (भाजपा) को इसका स्वागत करना चाहिए था, लेकिन यहां उल्टी-गंगा बह रही है।"
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लगभग दिनभर चला प्रदर्शन शाम 7.40 बजे खत्म हुआ। राजभवन में अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले जहां मुख्यमंत्री और लगभग 100 कांग्रेस विधायक धरने पर बैठे थे। विधायकों का कहना था कि जब तक राज्यपाल विधानसभा सत्र की घोषणा नहीं करते वे उठेंगे नहीं।" विधायकों ने लॉन में बैठे सत्र बुलाने के लिए नारेबाजी की।
जिसके बाद राज्यपाल ने बाहर आकर मुख्यमंत्री से कहा कि वे कानूनी राय ले रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह विधानसभा सत्र की घोषणा होने तक नहीं जाएंगे। हालांकि राज्यपाल ने कहा,"मैं अभी हां नहीं कह सकता।"
राज्यपाल के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री का अनुरोध "बहुत स्पष्ट नहीं है" और विधानसभा का एजेंडा चार-पंक्ति के प्रस्ताव में "उल्लेखित नहीं" है। आज रात एक नया प्रस्ताव उनके पास भेजे जाने की संभावना है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा, "राज्यपाल ने हमें आश्वासन दिया कि वह संविधान का पालन करेंगे।"
राज्यपाल ने मीडिया से कहा कि उन्होंने गहलोत के अनुरोध को ठुकराया नहीं है। कलराज मिश्र ने कहा कि उन्होंने अभी तक कुछ तय नहीं किया है। वे नियम के मुताबिक कार्य करेंगे। माना जा रहा है कि राज्यपाल सत्र न बुलाने के लिए कोरोना महामारी को वजह के तौर पर बता सकते हैं।