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जयपुर: सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों ने उच्च न्यायालय में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के एक नोटिस को चुनौती दी, जिसपर शुक्रवार दोपहर एक बजे सुनवाई होगी। स्पीकर ने यह नोटिस कांग्रेस द्वारा उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराने के लिए की गई मांग पर दिया है। संभावना है कि दो न्यायाधीशों की खंडपीठ बागी खेमे द्वारा दाखिल संशोधित याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका पर आज अपराह्न करीब तीन बजे न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा ने सुनवाई की। लेकिन, बागी खेमे के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए समय मांगा। मामले पर शाम करीब पांच बजे फिर से सुनवाई हुई और संशोधित याचिका को खंडपीठ के पास भेज दिया गया।

इससे पहले कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने अदालत को अर्जी देकर अनुरोध किया कि इस संबंध में कोई भी आदेश देने से पहले उनका भी पक्ष सुना जाए। जोशी ने ही विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इन विधायकों को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया है। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि इन 19 विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में शामिल होने के पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया है।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को सभी को नोटिस जारी किया।

पायलट खेमे के विधायकों का कहना है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो। विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गयी शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है।

दिन में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरिष साल्वे ने दलील दी थी कि विधायक नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं और उन्हें नए सिरे से अर्जी देने के लिए कुछ समय चाहिए। जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा भी हैं।

अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेन्द्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं। इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट असंतुष्ट चल रहे थे। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 विधायक हैं।

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