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जयपुर/नई दिल्ली: बगावत पर उतरे हुए सचिन पायलट कांग्रेस की तरफ से उन्हें मनाने की किसी भी तरह की कोशिश को कोई तरजीह नहीं देते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने पार्टी की गतिविधियों से भी दूरी बना ली है। यहां तक कि मंगलवार को हुई विधायक दल की दूसरी बैठक में भी सचिन पायलट नहीं पहुंचे। सोमवार को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक (सीएलपी) बुलाई थी, लेकिन वो इस मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से सोमवार की रात बोला गया था कि सचिन पायलट आएं और बातचीत करके ये मसला सुलझाया जाए, लेकिन मंगलवार को भी पार्टी की बैठक में शामिल न होकर पायलट ने संदेश दे दिया है कि वो इस बार आर या पार की लड़ाई के मूड में हैं।

राजस्थान कांग्रेस में चल रहे संकट को देखते हुए सोमवार को रणदीप सुरजेवाला जयपुर पहुंचे हुए थे, उन्होंने यहां पर कहा कि पायलट आकर बातचीत करके मामला सुलझाए। पार्टी को उम्मीद थी की वो दूसरी मीटिंग में आएंगे, लेकिन पायलट ने इस मीटिंग से भी दूरी बना ली है। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि पायलट भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। हालांकि, सोमवार को सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि पायलट ने कहा है कि वो भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

सोमवार की रात पायलट के खेमे की ओर से एक वीडियो रिलीज़ किया गया था, जिसमें 15-16 विधायक एक जगह पर बैठे दिखाई दे रहे थे। इसके पहले दिन में अशोक गहलोत के आवास में बुलाई गई विधायक दल की बैठक में तकरीबन 100 विधायक पहुंचे थे। गहलोत ने कहा है कि उनके पास लगभग 106 विधायकों का समर्थन है। लेकिन पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि गहलोत के पास इतने नंबर नहीं हैं, जितने का वो दावा कर रहे हैं।

पायलट का दावा था कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है, लेकिन वीडियो के हिसाब से उनके खेमे में अभी लगभग 16 विधायक हैं। पायलट के दूसरी मीटिंग में भी शामिल न होने के बाद अब देखना है कि कांग्रेस अगला कदम क्या उठाती है। क्या अभी भी उसके पास कोई विकल्प है या फिर इस लड़ाई में सचिन पायलट की ही जीत होगी?

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