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नई दिल्ली: भारत के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ रविवार, 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पद से रिटायर हो रहे हैं। शुक्रवार को अपने आखिरी वर्किंग डे पर उन्होंने 'बुलडोजर जस्टिस' पर फैसला सुनाया और सुप्रीम कोर्ट से विदाई ली। चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस के तौर पर पदभार संभाला था। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना सोमवार, 11 नवंबर से इस पद का दायित्व संभालेंगे।

मैं जो भी करूंगा, उसमें मेरे पद की गरिमा हमेशा कायम रहेगी: चंद्रचूड़

रिटायरमेंट के बाद की योजना पर चर्चा करते हुए उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि उनके मुताबिक, जब कोई शख्स चीफ जस्टिस या जज के पद से रिटायर होता है, तब भी समाज उसे उसी सम्मान और मर्यादा से देखता है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति का हर कदम समाज की अपेक्षाओं का मान रखते हुए होना चाहिए। चंद्रचूड़ ने अपने बयान में कहा, "मेरी निजी मान्यता है कि जब आप चीफ जस्टिस या जज के पद से मुक्त हो जाते हैं, तब भी समाज आपको उसी तौर पर देखता है। इसलिए, मैं जो भी करूंगा, उसमें मेरे पद की गरिमा हमेशा कायम रहेगी।"

सीजेआई चंद्रचूड़ ने रिटायर जजों की भूमिका का जिक्र करते हुए अखबार को बताया कि संसद की ओर से बनाए गए कानूनों के अनुसार, रिटायर जजों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन और टेलीकॉम डिस्प्यूट्स ट्रिब्यूनल जैसे ट्रिब्यूनलों में सेवाएं देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि इन ट्रिब्यूनलों में जिन मामलों पर फैसले लिए जाते हैं, उनमें बड़ी गहराई और विशेषज्ञता की जरूरत होती है। इसीलिए, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पूर्व जजों को इन पदों पर नियुक्त किया जाता है।

राष्ट्रीय विकास में न्यायाधिकरणों की अहमियत

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर इन ट्रिब्यूनलों में उच्च नैतिकता और विशेषज्ञता वाले जज नहीं होते हैं, तो इससे देश की आर्थिक प्रगति पर असर पड़ता है। उन्होंने इसे एक 'गंभीर मुद्दा' बताया और कहा कि इन जटिल कानूनी और आर्थिक मामलों के समाधान के लिए इन ट्रिब्यूनलों की प्रभावी कार्यप्रणाली बेहद जरूरी है। उन्होंने मीडिया से भी गुजारिश की है कि वह रिटायर जजों के इन पदों को स्वीकारने पर नकारात्मक नजरिया न रखें। उन्होंने कहा कि पूर्व जजों की उपस्थिति से न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा बना रहता है।

"पद की गरिमा बनाए रखना मेरी प्राथमिकता"

सीजेआई ने जोर देते हुए कहा कि इन भूमिकाओं (ट्रिब्यूनल्स के जज) में फैसले का सम्मान होना चाहिए, और जो रिटायर जज इन पदों को स्वीकार करते हैं, उन्हें सम्मान की नजरिए से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "समाज आपसे एक खास स्तर के व्यवहार की अपेक्षा करता है और मैं मानता हूं कि जो भी काम करूं, वह मेरे पद की गरिमा को बनाए रखेगा।"

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