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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पलटवार करते हुए उन पर पिछले 10 वर्षों में ''अघोषित आपातकाल'' लागू करने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए अतीत को कुरेद रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी सहमति और सहयोग की बात करते हैं, लेकिन काम इसके ठीक उलट करते हैं। खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया,"नरेन्द्र मोदी जी, देश भविष्य की ओर देख रहा है, आप अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को ही कुरेदते रहते हैं। पिछले 10 वर्षों में 140 करोड़ भारतीयों को आपने जो ''अघोषित आपातकाल'' का आभास करवाया उसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है।"

खड़गे ने आगे कहा,"पार्टियों को तोड़ना, चोर दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिरना, 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं पर ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालना, और चुनाव के पहले सत्ता का इस्तेमाल करके सबको समान अवसर या लेवल प्लेईंग फिल्ड को बिगाड़ना क्या 'अघोषित आपातकाल' नहीं है?"

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सांसदों के निलंबन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मोदी जी आम सहमति और सहयोग की बात करते हैं। लेकिन उनके काम इसके विपरीत हैं। खड़गे ने पूछा, जब 146 विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित कर अपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए तीन कानून- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, पारित किए गए तब ये आम सहमति शब्द कहां था?

सांसद के प्रांगण से प्रतिमाएं क्यों हटाई गई: खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि जब संसद के प्रांगण से छत्रपति शिवाजी महाराज जी, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बिना विपक्ष से पूछे एक कोने में स्थानांतरित कर दिया गया, तब ये आम सहमति शब्द कहां था? जब 15 करोड़ किसान परिवारों पर तीन काले कानून थोपे गए और उनको अपने ही देश में महीनों सड़कों पर बैठने पर विवश किया गया, उनपर अत्याचार किया गया, तब आम सहमति शब्द कहां था?

नोटबंदी हो, आनन-फानन में लागू किया लॉकडाउन हो, या चुनावी बांड का कानून हो, ऐसे सैकड़ों उदहारण है, जिसपर मोदी सरकार ने आम सहमति और सहयोग का प्रयोग बिलकुल नहीं किया। विपक्ष को क्या, अपने ही नेताओं को अंधेरे में रखा। खड़गे ने दावा किया कि 17वीं लोकसभा में इतिहास में सबसे कम- केवल 16 प्रतिशत विधेयक संसदीय स्थायी समितियों को भेजे गए।

लोकसभा में 35 प्रतिशत विधेयक एक घंटे के भीतर पारित कर दिए गए। राज्यसभा में 34 प्रतिशत विधेयक एक घंटे के भीतर पारित कर दिए गए। लोकतंत्र और संविधान की दुर्दशा भाजपा ने की है। कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है।

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