नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत 24 जून से शुरु होगी। सोमवार सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरु होने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्री बतौर संसद सदस्य शपथ लेंगे। प्रधानमंत्री के बाद केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी शपथ ग्रहण करेंगे। इसके बाद मंत्री परिषद के अन्य सदस्य सांसद के रूप में शपथ लेंगे। सभी को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब शपथ दिलाएंगे।
प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने पर हो सकता है विवाद
इसके बाद विभिन्न राज्यों के सांसद वर्णमाला के क्रम में शपथ लेंगे। यानि कि सबसे पहले असम राज्य के सांसद शपथ लेंगे, तो अंत में पश्चिम बंगाल के सांसद। सत्र के पहले दिन ही भाजपा नेता और सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने पर विवाद हो सकता है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इस पद के लिए कांग्रेस सदस्य कोडिकुन्निल सुरेश के दावे को नजरअंदाज किया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस के सांसद लगातार नहीं जीते हैं, इसलिए उनकी वरिष्ठता का आधार नहीं बनता।
पीएम मोदी की कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में 58 लोकसभा के सदस्य हैं। जबकि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल 13 सदस्य राज्यसभा के सांसद हैं और एक मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। वह लुधियाना से भाजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे।
संसद के इस सत्र में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं होगा। जानकारी के अनुसार, सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सबसे पहले राष्ट्रपति भवन में भर्तृहरि महताब को लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के तौर पर शपथ दिलाएंगी। इसके बाद सुबह 11 बजे से संसद की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
सांसदों की शपथ के बाद 26 जून को होगा स्पीकर का चुनाव
18वीं लोकसभा की पहली बैठक के अवसर पर सदस्यों द्वारा मौन रखने के साथ कार्यवाही की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह सदन के पटल पर लोकसभा के लिए चुने गए सदस्यों की सूची रखेंगे। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर महताब पीएम मोदी को सदन के सदस्य के तौर पर शपथ लेने के लिए आमंत्रित करेंगे। इसके बाद 26 जून को लोकसभा स्पीकर के चुनाव तक सदन की कार्यवाही चलाने में उनकी सहायता करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अध्यक्षों के पैनल को शपथ दिलाएंगे।
दरअसल, राष्ट्रपति ने लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ/ प्रतिज्ञान दिलाने में महताब की सहायता के लिए कोडिकुन्निल सुरेश (कांग्रेस), टीआर बालू (डीएमके), राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते (दोनों भाजपा) और सुदीप बंद्योपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस) को नियुक्त किया है। संसद सत्र के पहले दिन यानी 24 जून को 280 नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे। दूसरे दिन यानी 25 जून को 264 नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे। इसके बाद 26 जून को नए लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी।
सरकार को नीट परीक्षा गड़बड़ी समेत कई मुद्दों पर घेरेगा विपक्ष
जानकारी के अनुसार, 27 जून को राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा। इसी दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा-राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी बोलेंगे। 1-3 जुलाई के दौरान संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार (21 जून) को सीएसआईआर-यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी। इसके बाद एक दिन बाद ही राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने नीट पीजी परीक्षा को भी स्थगित कर दिया। डीएमके, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने पहले ही संकेत दे दिया है कि लाखों छात्र जो सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं उनका मुद्दा उठाएंगे।
10 साल बाद पहली बार पीएम मोदी के सामने मजबूत विपक्ष होगा। विपक्ष नीट परीक्षा गड़बड़ी, यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन और अग्निवीर योजना को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसके बाद प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे।
10 साल बाद कांग्रेस को मिलेगी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
लोकसभा में इस बार नेता प्रतिपक्ष भी होगा। पिछले 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है, क्योंकि 2014 के बाद से किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते। नियम के तहत नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या 543 का 10 फीसदी यानी 54 सांसद होना जरूरी है। 16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खरगे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था। 17वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खरगे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था। 17वीं लोकसभा में 52 सांसदों की अगुआई अधीर रंजन चौधरी ने की थी।
सदन के नेता प्रधानमंत्री के बराबर ही नेता प्रतिपक्ष को तरजीह मिलती है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी उन्हें शामिल किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं। नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी शामिल हो जाता है। लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही बनाया जाता है। इस समिति के पास पीएम तक को तलब करने का अधिकार होता है। सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली, दूसरी कतार में कौन नेता बैठेगा, इसकी राय भी विपक्ष के नेता से ली जाती है।
जेडीयू और टीडीपी उठा सकते हैं अपने-अपने मुद्दे
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के सहयोगी दलों की ओर से भी अपने-अपने राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित मुद्दे उठाने की उम्मीद है। जेडीयू और टीडीपी दोनों के पास कुल 28 विधायक हैं और उन्होंने केंद्र में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अपने सांसदों को राज्य से जुड़े मुद्दों को उठाने का निर्देश दिया है। जिसमें राजधानी अमरावती और पोलावरम परियोजना के लिए फंड की मांग भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू नेता ने कहा कि बिहार के सांसद भी विकास परियोजनाओं और रोजगार सृजन के लिए वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दे उठाएंगे।