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नई दिल्ली: विपक्ष ने आज (सोमवार) बजट की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इसे किसानों के अनुकूल बताना ‘सिर्फ जुमलेबाजी’ है और ‘खोखले वादों’ से सरकार किसानों को ‘मुर्ख’ नहीं बना सकती। वहीं भाजपा ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण भारत के लिए किए उपाय ‘ऐतिहासिक’ हैं। कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह रोजगार सृजन सहित आर्थिक चुनौतियों को दूर करने के लिए ‘तत्काल प्रोत्साहन प्रदान करने में नाकाम रहा है।’ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इसमें किसी ‘बड़े विचार’ का अभाव है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बजट में ‘दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता’ दोनों का अभाव है। उन्होंने कहा कि ‘पिछले दो बजटों में किए गए बड़े-बड़े वादों की नाकामी’ पर गौर किए बिना नए वादे किए गए हैं। राहुल ने ट्वीट किया, ‘मोदीजी ने पहले दो साल ग्रामीण विकास और सामाजिक व्यय, मनरेगा और किसानों पर कांग्रेस पार्टी के ध्यान केंद्रित करने का उपहास किया। अब सिर्फ जुमलेबाजी, बिना दृष्टि और कार्रवाई के न तो किसान और न ही इस देश के गरीब मूर्ख बनेंगे।’

उन्होंने हालांकि वित्त मंत्री अरूण जेटली को ब्रेल पेपर पर से आयात शुल्क हटाने की उनकी सिफारिश स्वीकार कर लिए जाने पर धन्यवाद किया। इस कदम से दृष्टिबाधित लोगों को मदद मिलेगी। बजट की आलोचना करते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इसमें दूरदृष्टि का अभाव है और यह खोखले दावों से भरा हुआ है। उन्होंने दावा किया कि परोक्ष करों को बढ़ाने से आम लोगों पर ज्यादा भार पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार के पिछले दो बजटों की तरह यह बजट भी एक बार फिर खोखले वादों और नारों से भरा हुआ है।’ येचुरी ने ट्वीट किया कि वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए है लेकिन इसमें कोई दूरदृष्टि (विजन) नहीं है। उन्होंने कहा कि उपकर बढ़ाने से आम लोगों पर भार बढ़ेगा। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि ‘सूटबूट वाले लोगों’ पर बजट को केंद्रित नहीं कर अरूण जेटली ने चतुराई से विपक्ष का काम कठिन बना दिया है। बीजद नेता बैजयंत पांडा ने कहा कि वृहतर आर्थिक नजरिए से यह एक बड़ा कदम है। ग्रामीण अवसंरचना के लिए किए गए बड़े आवंटन और लाल फीताशाही खत्म करना प्रगति उन्मुखी हैं। उन्होंने वित्त मंत्री की सराहना करत हुए कहा कि कई राज्यों में चुनाव के करीब होने के बाद भी यह लोकलुभावन बजट नहीं है। पूर्व वाणिज्य मंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि बजट में कई चीजें ऐसी हैं जिनका भविष्य में स्पष्टीकरण करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बजट रोजगार सृजन और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने में कोई ‘तत्काल प्रोत्साहन’ पैदा करने में विफल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह किसानों और मध्यम वर्ग की चिंताओं का समाधान नहीं करता। उन्होंने कालाधन एमनेस्टी योजना पर सवाल करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर किसानों के साथ ‘धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया। केजरीवाल आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार के सिलसिले में अभी पंजाब में हैं। उन्होंने दावा किया कि बजट में उद्योगपतियों के कर्ज ‘माफ’ कर दिए गए हैं जबकि किसानों को ऐसी राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने ट्वीट किया कि बजट में उन परेशान किसानों के लिए कुछ नहीं है जो आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों पर भारी कर्ज है। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों के ऋण माफ कर दिए गए हैं जबकि किसानों के रिण माफ नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है। जदयू प्रमुख शरद यादव ने बजट को ‘खोखला’ बताते हुए कहा कि यह कर देने वाले कर्मचारियों को कोई राहत नहीं देता और सेवा कर में वृद्धि से महंगाई से परेशान आम लोगों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से खोखला बजट है जिसमें कोई दिशा नहीं है। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने की भी आलोचना की। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अगले पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की योजना का जिक्र कल प्रधानमंत्री ने खुद ही किया था और इस एक विचार को छोड़कर इसमें कोई बड़ा विचार नहीं है। उन्होंने हालांकि इसे असंभव सपना बताकर खारिज कर दिया। जानेमाने अर्थशास्त्री सिंह ने साथ ही यह भी कहा कि उन्हें खुशी है कि वित्त मंत्री राजकोषीय घाटा लक्ष्य पर कायम रहे हैं जिसकी रूपरेखा उन्होंने ही तैयार की थी। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने कहा कि बजट उनके राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रहा है। उन्होंने सड़क परिवहन क्षेत्र के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर चिंता जतायी लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य बीमा योजना जैसे प्रस्तावों का स्वागत किया और कहा कि यह उनकी सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजना के ‘समान’ है। उन्होंने कहा कि बजट में योजनाओं के बारे में कोई विशिष्ट घोषणा नहीं की गयी है। उन्होंने कृषि और ग्रामीण आय पर जोर दिए जाने का स्वागत किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बजट को ‘निराशाजनक’ बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा में ‘असफल’ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अच्छे दिन के वादे सिर्फ उन लोगों के लिए हैं जिनके पास कालाधन है। कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘बजट में किसानों या समाज के अन्य तबके के लिए कुछ नहीं है। लोगों को भाजपा सरकार के बजट से सिर्फ निराशा ही मिली है।’ मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘परीक्षाफल आ गया है और वह असफल रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने कल बजट के संदर्भ में कहा था कि उनकी भी परीक्षा है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी बजट को ‘निराशाजनक’ बताते हुए कहा कि इसमें आर्थिक समस्याओं का कोई समाधान नहीं पेश किया गया है। पार्टी ने एक बयान में कहा कि यह बजट न तो सृजनात्मक और न ही रचनात्मक है। पार्टी ने कहा कि यह घिसापिटा और नियमित बजट है तथा उसके पास बजट को निराशाजनक बताने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने कहा कि इसमें उद्योग, किसानों, गरीबों, मध्यम वर्ग आदि के लिए कोई उम्मीद नहीं है। उधर, द्रमुक प्रमुख एम. करूणानिधि ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता कि प्रधानमंत्री ‘अभी परीक्षा में पास हो गए हैं’ लेकिन आयकर में छूट नहीं होने से वेतनभोगी वर्ग को बड़ी निराशा हुयी है। वाम दलों ने सरकार पर ‘प्रतिगामी’ नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बजट खोखले वादों से भरा हुआ है और यह कॉरपोरेट के पक्ष में है। उन्होंने दावा किया कि विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्था में संकट को देखते हुए सरकार से उम्मीद थी कि वह बजट के जरिए घरेलू मांग में वृद्धि पर जोर देगी। लेकिन सरकार उन्हीं ‘प्रतिगामी नीतियों पर कायम रही’ जिनसे असमानता और बेरोजगारी में वृद्धि होगी और निर्यात में कमी आएगी। भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में गंभीर संकट है और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जेटली ने यह जताने की कोशिश की कि वे कृषि और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। ‘लेकिन वास्तव में उन्होंने उर्वरकों और अन्य चीजों पर सब्सिडी कम कर दी है। छोटे और सीमांत किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला और न ही खेतिहर कामगारों को फायदा होगा।’ पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बजट को ‘गंवा दिया गया अवसर’ बताया और आरोप लगाया कि विगत दो साल में सरकार ने ग्रामीण भारत, कृषि क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र कार्यक्रमों की ओर से अपना ध्यान हटा लिया था। उन्होंने कहा कि बजट भाषण सुनने या सामग्री को पढ़ने के बाद औसत नागरिक के लिए क्या है। उन्होंने सवाल किया कि क्या उसमें कोई बड़ा विचार है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बजट भाषण में न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को आकषर्क बनाने का कोई वादा है और न ही महत्वपूर्ण फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसी प्रमुख पहल की बात की गयी है।

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