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दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है, जिसमें उन तीन वकीलों के खिलाफ एसआईटी जांच और अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है, जो कैमरे में यह ‘शेखी बघारते हुए’ कैद हो गए थे कि उन्होंने पटियाला हाउस अदालत परिसर में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा पत्रकारों सहित अन्य लोगों की पिटाई की थी। जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने इन तीनों वकीलों को भी नोटिस जारी किया, जो कथित तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन में शेखी बघारते पकड़े गए थे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार मार्च के लिए तय कर दी। शुरू में पीठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल द्वारा दायर याचिका पर यह कहते हुए नोटिस जारी करने की इच्छुक नहीं थी कि वह मुद्दे पर एक मामले की पहले ही सुनवाई कर रही है जो 10 मार्च को आएगा। पीठ ने कहा, ‘सवाल यह है कि एक और मामला लंबित है और जब तक उस मामले में कार्यवाही पूरी नहीं होती, क्या हमें इस नए मामले में अवमानना कार्यवाही शुरू करनी चाहिए?’ हालांकि बाद में इसने याचिका पर नोटिस जारी कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कल अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किए जाने के बाद मामले को आज की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। याचिका में अधिवक्ताओं- विक्रम सिंह चौहान, यशपाल सिंह और ओम शर्मा के खिलाफ इस आधार पर ‘स्वत: संज्ञान कार्यवाही’ करने का आग्रह किया गया था कि वे कथित तौर पर हमलों के बारे में बात करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। इसमें पत्रकारों, छात्रों, शिक्षकों, बचाव पक्ष के वकीलों और कन्हैया पर 15 और 17 फरवरी को पटियाला हाउस अदालत परिसर में कुछ वकीलों द्वारा हिंसक हमले किए जाने की घटनाओं की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने के लिए निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया था। याचिका जेएनयू मामले में निचली अदालत के परिसर में हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ की इस मौखिक टिप्पणी के अनुपालन में दायर की गई कि आरोप नए हैं और नयी याचिका दायर किए जाने की आवश्यकता है।

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