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नई दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट में मारपीट करने वाले वकीलों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई उचित और विधिसम्मत है। उन पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वह सही हैं या नहीं है, इसका फैसला अदालत करेगी। लेकिन उनके इस जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस ने सदन से वाकआउट किया। राज्यसभा में कांग्रेस के आनंद शर्मा द्वारा दिल्ली में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को लेकर लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में राजनाथ सिंह ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट में मारपीट की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं तथा वे पहले ही इसकी निंदा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस ने आरोपी वकीलों एवं विधायक के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं और जहां तक उन पर लगाई गई धारा का प्रश्न है, यह कार्य स्थानीय पुलिस का है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच अभी भी जारी है तथा हो सकता है कि कुछ और लोगों के खिलाफ इसमें कार्रवाई हो। कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कोर्ट परिसर में हमला पुलिस की मिलीभगत से हुआ और जानबूझ कर कमजोर धाराएं लगाई गई।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री का बयान संतोषजनक नहीं है। सिंह ने कहा कि जेएनयू में पुलिस के छात्राओं के हॉस्टल में सादे लिबास में जाने की बात सही नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि एक भी पुलिस वाले द्वारा ऐसा किए जाने की बात साबित होगी तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, जद यू के. सी. त्यागी ने छात्राओं के हॉस्टल में पुलिस के जाने की बात कही थी। गृह मंत्री ने दिल्ली में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को लेकर विभिन्न सदस्यों के प्रश्नों के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के कारण दिल्ली पुलिस के पास कई किस्म की जिम्मेदारियां हैं। फिर भी उसने प्रभावी तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाई है। सिंह नेकहा कि कोई भी संगठन पूरी तरह से परफैक्ट नहीं होता है और उसमें लगातार सुधार की गुजाइश रहती हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में एफआईआर के पंजीकरण को लेकर भी पारदर्शी नीति अपनाई गई है जिससे दिल्ली में मुकदमों के आंकड़े बढ़े हैं।

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