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नई दिल्ली: रेल मंत्री सुरेश प्रभु के आज (गुरुवार) को पेश होने वाले दूसरे रेल बजट में यात्रिओं की आकांक्षाओं को पूरा करने और रेलवे की वित्तीय स्थिति के साथ संतुलन साधने की चुनौती है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु के समक्ष यह दुविधा होगी कि यात्री किराया या माल भाड़ा बढ़ाया जाए या नहीं क्योंकि जहां एक तरफ रेलवे की वित्तीय स्थिति पर भारी दबाव है,वहीं दूसरी तरफ डीजल के दाम घट रहे हैं और कुछ राज्यों में चुनाव भी होने हैं। राजस्व संग्रह में गिरावट और क्षमता विस्तार से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण की मांग तथा यात्री सेवा में सुधार के लिए किराए में बढ़ोतरी की जरूरत के बीच रेल मंत्रालय का एक धड़ा इसके पक्ष में नहीं है। इस धड़े का कहना है कि इस मौके पर किराए में बढ़ोतरी बहुत अच्छा विचार नहीं है क्योंकि चार राज्यों में चुनाव होने हैं और डीजल की कीमत घट रही है। रेल विभाग के सूत्रों ने कहा कि डीजल की कीमत घट रही है। यात्रियों की बुकिंग और माल का लदान भी घट रहा है।

 इसलिए फिलहाल माल भाड़ा और यात्री किराया बढ़ाने से रेलवे पर विपरीत असर होगा। यदि जरूरत पड़ी तो किराए में बढ़ोतरी बजट के बाद भी की जा सकती है और आवश्यक नहीं है कि ऐसा सिर्फ बजट में ही किया जाए। इसके अलावा प्रभु को इस पर विचार करना होगा कि दुर्घटना रोकने के लिए सुरक्षा संबंधी पहलों के लिए सुरक्षा उपकर लगाना चाहिए या नहीं। रेलवे ने त्योहारी मौसम के दौरान बढ़ती मांग की जरूरत पूरी करने के लिए लोकप्रिय मार्गों पर ज्यादा किराए वाली उतनी ही विशेष रेलगाड़ियां चलाने का फैसला किया है जो अप्रत्यक्ष रूप से किराया बढ़ाने जैसा ही है। आधुनिक सुविधाओं और बेहतर साज-सज्जा के साथ मौजूदा डिब्बों के उन्नयन की योजना बड़े पैमाने पर बनाई जा रही है ताकि हाल में नयी दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाई गई महामना एक्सप्रेस की तरह ज्यादा किराए वाली रेलगाड़ियां चलाई जा सकें। माल परिवहन एवं यात्री परिचालन क्षेत्र में दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्सिडी इस साल 30,000 करोड़ रुपये को पार कर गई जबकि सातवें वेतन आयोग का बोझ करीब 32,000 करोड़ रुपये था। रेलवे आय अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान लक्ष्य के मुकाबले 3.77 प्रतिशत कम रहकर 1,36,079.26 करोड़ रुपये रही जबकि लक्ष्य 1,41,416.05 करोड़ रपए का था। रेलवे ने राजग कार्यकाल में 2014 में यात्री किराए में 14 प्रतिशत और पिछले साल 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। आर्थिक हालात गंभीर होने के बावजूद उम्मीद है कि रेल बजट रेल क्षेत्र में क्षमता विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसके लिए पव्यिय बढ़ाकर करीब 1.25 करोड़ रपए करने की योजना है। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा उन्नयन, विद्युतीकरण, रेलगाड़ियों की आवाजाही की दिक्कतें कम करने के लिए दोहरीकरण और आधुनिकीकरण के लिए उल्लेखनीय राशि आवंटित की जायेगी।ऐसा लगता है कि प्रभु को क्षमता विस्तार परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वाह्य बजटीय संसाधन (ईबीआर) पर निर्भर रहना पड़ेगा और वह रेल बजट में अपने संसाधन जुटाने की योजना का ब्योरा देंगे। वित्त मंत्रालय से मिलने वाले सकल बजटीय समर्थन (जीबीएस) से रेलवे की उम्मीदें पूरी होने की संभावना नहीं है और परियोजनाओं का ज्यादातर वित्तपोषण बाहरी उधारी के जरिये होने का अनुमान है। लगातार दूसरे साल नयी रेलगाड़ियों की घोषणा शायद ही हो। स्थानीय मांग और जरूरत को ध्यान में रखते हुए चुनिंदा तौर पर नयी सेवाएं शुरू की जाएंगी। माल ढुलाई को सड़क से रेल पर लाने के लिए बजट में इस संबंध में विभिन्न किस्म की योजनाएं पेश की जाएंगी। रेल बजट में उच्च गति वाली प्रमुख पार्सल ट्रेनों की घोषणा की जा सकती है। उपनगरीय खंड में रेल बजट में मुंबई में एसी उपनगरीय रेलगाड़ियां पेश करने की घोषणा करेगी और दूसरे क्षेत्रों में भी यह प्रयोग दोहराया जाएगा। एसी उपनगरीय सेवा का किराया आम स्थानीय रेलगाड़ियों के मुकाबले अधिक होगा। बजट में दोहरे परिचालन वाले इर्ंजन पेश करने की भी घोषणा हो सकती है। ऐसे इंजनों के जरिये रेलगाड़ी को डीजल और बिजली दोनों से चलाया जा सकता है। स्वच्छ भारत अभियान को बरकरार रखते हुए रेल मंत्री कई रेलगाड़ियों में जैव-शौचालय और वैक्यूम टायलेट लगाने और हर डिब्बे में कूड़ादान लगाने की योजना की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक रेलवे पर स्वच्छ उपकर लगाया गया है इसलिए संभव है कि रेलवे परिसर में सफाई के लिए स्वच्छ कोष का कुछ हिस्से मिलने की उम्मीद है। निजी भागीदारी से सभी 400 स्टेशनों को हरित स्टेशन घोषित करने की योजना है जिसमें सौर उर्जा, जल पुनर्चक्रण, कचरे को उर्जा में परिवर्तित करने तथा एलईडी लाइट के उपयोग जैसी कई पर्यावरण अनुकूल पहलें शामिल होंगी।

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