नई दिल्ली: चुनाव प्रक्रिया में 'पारदर्शिता बढ़ाने' के मकसद से 2019 के आम चुनावों में मतदान के दौरान कागज युक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) का इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग के एजेंडा में निकट भविष्य में इंटरनेट के जरिए मतदान कराना शामिल नहीं है। बहरहाल, वह आने वाले दिनों में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का बड़े स्तर पर इस्तेमाल करने वाला है। मंगलवार को एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए जैदी ने कहा, 'हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां लोग सौ प्रतिशत कागज युक्त ऑडिट ट्रेल मशीन को लगाए जाने की मांग कर रहे हैं। इस प्रणाली में हमने गोपनीयता का भी ध्यान रखा है। हमारी योजना है कि 2019 तक पूरे देश में कागज युक्त ऑडिट ट्रेल मशीनों का इस्तेमाल किया जाए।
इसके लिए अब बजट की व्यवस्था करनी है।' अगला आम चुनाव 2019 में होना है। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के इरादे और मतदाताओं में यह आत्मविश्वास बढ़ाने कि उनका मत बिना किसी गलती के उनके इच्छित उम्मीदवार को ही जाएगा, आयोग ने सबसे पहले 2013 में कागज युक्त ऑडिट ट्रेल मशीन या वोटर वेरिफायड ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को शुरू किया था। मतदान होने के बाद वीवीपीएटी से जुड़ा इवीएम तुरंत इसका एक प्रिंटआउट निकाल देगा, जिसे बाद में अंतिम परिणाम में कोई विवाद होने की स्थिति में इवीएम से मिलान के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। जैदी 'पारदर्शी एवं विश्वसनीय चुनाव के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल' विषय पर बोल रहे थे। बहरहाल, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसमें मतदाताओं की गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा जाएगा।