नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार और आरएसएस पर कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में असहमति के स्वर को दबाने के आरोप लगाते हुए कहा कि ‘भेदभाव’ और ‘उत्पीड़न’ से उन्हें बचाने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला और जेएनयू के गिरफ्तार छात्र कन्हैया कुमार के लिए न्याय की मांग करते हुए मार्च निकालने वाले सैकड़ों छात्रों का समर्थन करते हुए राहुल ने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाना चाहिए कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों को भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े और उनकी आवाज नहीं दबाई जाए।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने संसद में मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण में रोहित की मौत और विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रों को हो रही कठिनाइयों का जिक्र नहीं करने के लिए भी सरकार की आलोचना की।
आरएसएस की विचारधारा से सहमत नहीं होने वाले देश भर के विश्वविद्यालयों में छात्रों की आवाज दबाने का केंद्र पर आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि इस तरह का ‘दबाव’ रोकने के लिए कानून लाने की खातिर कांग्रेस लड़ाई करेगी। उन्होंने आरोप लगाए कि सरकार न केवल युवकों को बल्कि आदिवासियों, दलितों और अन्य कमजोर तबके को दबाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हम इस तरह का भारत नहीं चाहते जहां हमारे ऊपर विचारधारा को थोपा जाए। हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। आरएसएस के लोग चाहते हैं कि भारत में एक विचारधारा हो लेकिन हम चाहते हैं कि अलग-अलग आवाज और विचारधारा हो।’ एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालय के हजारों छात्र रोहित वेमुला की मौत और जेएनयू में चल रहे गतिरोध के खिलाफ राजधानी की सड़कों पर उतरे। राहुल ने कहा, ‘यह आरएसएस की विचारधारा है। वे पिछले समय में क्या हुआ इस बारे में बोलते रहते हैं। वे भविष्य की बात नहीं करते। रोहित वर्तमान और भविष्य की बात कर रहा था।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण सुना। उन्होंने सरकार की उपलब्धियों के बारे में बोला लेकिन रोहित के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा, विश्वविद्यालयों में क्या हो रहा है इस पर उन्होंने कुछ नहीं बोला।’ प्रदर्शनकारियों में हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम रोहित के लिए न्याय की मांग करते हैं, कन्हैया कुमार के लिए न्याय मांगते हैं। यह प्रदर्शन दलितों, अल्पसंख्यकों और वंचित तबके के लिए भी है।’