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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईबी, रॉ और एनटीआरओ खुफिया एजेंसियों को संसद के प्रति जवाबदेह बनाए जाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को आज (मंगलवार) यह कहते हुए खारिज कर दिया कि खुफिया क्षेत्र में हस्तक्षेप से राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। न्यायमूर्ति दीपक मिसरा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की एक पीठ ने कहा ‘‘हम इस याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं। खुफिया क्षेत्र में हस्तक्षेप की कोशिश से राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।’’ यह जनहित याचिका गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने दायर की थी। पीठ ने कहा ‘‘हमें नहीं लगता कि अदालत को इस तरह की याचिका पर विचार करना चाहिए जो देश की सुरक्षा से संबद्ध हो।’’ वर्ष 2013 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को एक नोटिस जारी कर उससे एजेंसियों को संसद तथा कैग की निगरानी में लाने का आग्रह करने वाली याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी थी।

गैर सरकारी संगठन की याचिका में अदालत से रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), इंटेलिजेन्स ब्यूरो (आईबी) और नेशनल टेक्नीकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) को पश्चिमी देशों की तरह ही संसदीय निगरानी में लाने और कैग से उनका वित्तीय आडिटिंग कराने का आदेश देने की मांग की गई थी।

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