नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में पठानकोठ वायु सेना स्टेशन पर हुए आतंकवादियों के हमले को सफलतापूर्वक निष्फल करने के लिए सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, मेरी सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से सख्ती से निपटने के लिए कत संकल्प है। आतंकवाद विश्वव्यापी खतरा है और इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर आतंकवाद निरोधी कठोर उपाए किये जाने की आवश्यकता है। संसद का बजट सत्र शुरू होने पर दोनों सदनों के केंद्रीय कक्ष में होने वाली संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति की ओर से किये जाने वाले अपने पारंपरिक संबोधन में प्रणब ने कहा, मेरी सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है। लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरत है, न कि अवरोध पैदा करना। मैं सभी सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सदभावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा, मेरी सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत संकल्प है। प्रणब ने कहा, मेरी सरकार पड़ोसी देशों के सुरक्षित और समद्ध भविष्य में विश्वास रखती है। भारत, अफगानिस्तान को स्थायी, समावेशी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में अफगानिस्तान की जनता का सहयोग करने के प्रति वचनबद्ध है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद को जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक बताते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने साथ ही सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समद्ध भारत बनाने का प्रयास करें। राष्ट्रपति ने कहा, लोकतंत्र में चर्चा का सिद्धांत आ नो भद्रा कत्वो यंतु विश्वत: होना चाहिए, अर्थात चर्चा में सभी लोगों के सुविचार शामिल किये जाने चाहिए। इस माननीय संस्था का सदस्य होना गौरव की बात तो है लेकिन इसके साथ महत्वपूर्ण दायित्व भी जुड़े हुए हैं। संसद के पिछले सत्रों में खासकर राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर बार बार कामकाज में व्यवधान उत्पन्न होने और सदन का समय नष्ट होने के संदर्भ में राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा, नवजीवन और विकास लाने वाले बसंत के इस मौसम में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में आपका स्वागत है और मुझे विश्वास है कि यहां पर होने वाली चर्चा उस भरोसे पर खरी उतरेगी जो हमारे नागरिकों ने हमारे प्रति जताया है। इस पथ पर आगे बढ़ते हुए अपने गौरवशाली देश के विकास और प्रगति में हम सभी बराबर के भागीदार बनेंगे। उन्होंने कहा, पिछले वर्ष संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मैंने अपनी सरकार की परिकल्पनाओं की एक रूपरेखा बतायी थी जिसका आशय ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भविष्य में पूरे आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होगा। ऐसा सशक्त और दूरदर्शी भारत जो लोगों को विकास के वे सारे अवसर मुहैया करायेगा, जिनका संविधान में प्रावधान किया गया है। विकास का यह सिद्धांत सबका साथ, सबका विकास में निहित है और यही मेरी सरकार का मूलभूत सिद्धांत है।