नई दिल्ली: जेएनयू से संबद्ध रहे जाट समुदाय के शहीद कैप्टन पवन कुमार का मानना था कि देश के लिए प्यार होना ज्यादा महत्वपूर्ण बात है न कि कैंपस में ‘आजादी’ की मांग करना या उनके जाट समुदाय द्वारा हरियाणा में ‘आरक्षण’ की मांग करना। विशेष बल में अधिकारी 23 वर्षीय कुमार ने शनिवार को अपने आखिरी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘किसी को आरक्षण चाहिए तो किसी को आजादी भाई। हमें कुछ नहीं चाहिए भाई, बस अपनी रजाई।’ जम्मू-कश्मीर के पंपोर में आज आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ के दौरान कुमार शहीद हो गए। कुमार तीन साल पहले ही पैरा कमांडो के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे। जेएनयू और एनडीए के बीच एक सहमति कार्यक्रम के तहत उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से स्नातक किया था। उन्होंने इस विश्वविद्यालय से भी डिग्री प्राप्त की थी। आज एक सात मंजिली इमारत में मुठभेड़ के दौरान 10 पैरा स्पेशल फोर्सेज के अधिकारी कुमार ने अपने पूरे दल का नेतृत्व किया था। इस इमारत को कम से कम तीन आतंकियों ने अपने कब्जे में लिया हुआ था। सेना ने उसे एक ‘प्रेरणादायी नेतृत्वकर्ता’ बताया है।
वह पहले एक आतंकरोधी अभियान में घायल होने के बाद स्वेच्छा से अन्य अभियानों में गये थे। वह हरियाणा के जींद से संबद्ध थे जहां जाट आरक्षण के लिए आंदोलन चला रहे हैं। उनका फेसबुक प्रोफाइल उनके जीवन के बारे में काफी जानकारी देता है। उनके प्रोफाइल में उनकी जीप और मोटरसाइकिल से जुड़ी कई तस्वीरें हैं और उनके कुत्ते टाइसन की भी तस्वीरें हैं।