नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने शनिवार को जेएनयू विवाद को लेकर एकजुटता दिखाई, लेकिन आवश्यक विधेयकों को पारित करने के मामले में सशर्त समर्थन देने की पेशकश की। यह पेशकश राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी द्वारा अगले हफ्ते से शुरू हो रहे बजट सत्र में सुचारू ढंग से कामकाज सुनिश्चित करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने संक्षिप्त हस्तक्षेप करते हुए उम्मीद जताई कि 23 फरवरी से शुरू होने वाला और तीन माह तक चलने वाला सत्र बहुत सकारात्मक एवं रचनात्मक होगा। बहरहाल, इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि 16 मार्च को खत्म होने वाले सत्र के पहले भाग में जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को लिए जाने की संभावना कम है। जेएनयू विवाद को कई विपक्षी नेताओं ने उठाया तथा सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया कि सत्र के पहले ही दिन इस मुद्दे पर चर्चा की तारीख तय होने की पूरी संभावना है।
बीजेपी में एक विचार यह है कि जेएनयू विवाद पर चर्चा राष्ट्रवाद के मुद्दे के ईद-गिर्द रहेगी, जो उसके लाभ में रहेगा। बैठक में विपक्ष एवं सरकार राज्यसभा में उस विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने पर सहमत हो गए, जिसमें पश्चिम बंगाल में परिसीमन प्रक्रिया को मंजूरी देने का प्रावधान है, ताकि बांग्लादेशी बस्तियों से भारत आए लोगों को मतदान का अधिकार मिल सके। बैठक में सबसे पहले वित्त मंत्री एवं राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने इसके लिए प्रस्ताव रखा, जिसका तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने समर्थन किया।