नई दिल्ली: अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने अपनी सरकार की बर्खास्तगी के लिए आज (शनिवार) आरएसएस और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि उनका उद्देश्य पूर्वोत्तर की सभी कांग्रेसी सरकारों को गिराना है। अरुणाचल प्रदेश में तुकी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को 26 जनवरी को तब राष्ट्रपति शासन लगाकर बर्खास्त कर दिया गया था जब पार्टी के 21 विधायकों ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया था। तुकी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल जेपी राजखोवा और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित लोकप्रिय सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कार्य किया। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पूरे असंतोष का वित्तपोषण एवं नियंत्रण आरएसएस और भाजपा द्वारा किया गया। वे पूर्वोत्तर में सभी कांग्रेसी सरकार को सत्ता से हटाना चाहते हैं। आरएसएस और भाजपा कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहे हैं।’ तुकी का यह बयान कांग्रेस बागियों के नेता कलिखो पुल को राष्ट्रपति शासन हटने के बाद मुख्यमंत्री की शपथ दिलाये जाने के एक दिन बाद आया है।
तुकी ने कहा कि जब भी राजग सत्ता में आता है अरुणाचल प्रदेश में सरकारें अस्थिर होती हैं चाहे वह पूर्व मुख्यमंत्रियों गेगांग अपांग के समय हुआ हो या मुकुट मिथी के समय।’ तुकी ने दावा किया कि राज्यपाल राजखोवा की ओर से कांग्रेस की सरकार को हटाने के लिए ‘लोकतंत्र को कुचलने और संविधान की अवहेलना’’ का प्रत्येक प्रयास किया गया।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार को बख्रास्त करने का कोई कारण नहीं था। कानून एवं व्यवस्था की कोई समस्या नहीं थी, कोई आंतरिक गड़बड़ी नहीं थी। इसके बावजूद राष्ट्रपति शासन अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक रूप से लगाया गया।’ कांग्रेस नेता ने गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू पर आरोप लगाया कि उन्होंने असंतुष्ट विधायकों को उनके (तुकी) नेतृत्व के खिलाफ भड़काया और उनका समर्थन किया। कांग्रेस के पूर्व सांसद तकाम संजय ने राजखोवा को राज्यपाल पद से हटाने की मांग की और कहा कि ‘अरुणाचल प्रदेश में लोकतंत्र एवं संविधान की हत्या हुई और इससे इस संवेदनशील सीमांत राज्य में कानून एवं व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘मोदी जी कृपया हमसे द्वितीय श्रेणी के नागरिक के तौर पर व्यवहार नहीं कीजिये। हम अन्य की तरह ही भारतीय हैं। अरुणाचल प्रदेश को दूसरा जम्मू कश्मीर नहीं बनाइये।’ पूर्वोत्तर में कांग्रेस की मणिपुर, असम, मेघालय और मिजोरम में सरकारें हैं। पुल के नेतृत्व में कांग्रेस बागियों की ओर से किये गए बगावत से अरुणाचल प्रदेश में एक राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया जिससे अंतत: 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। तुकी के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में 26 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस के 47 विधायक थे और उसे तब झटका लगा जब उसके 21 विधायकों ने तुकी के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया। भाजपा के 11 विधायकों एवं दो निर्दलीयों ने बागियों का समर्थन किया। बाद में 14 बागी कांग्रेसी विधायकों को विधानसभाध्यक्ष ने अयोग्य करार दिया।