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नई दिल्ली: वामपंथी दलों, जनता दल (यू) और कुछ अन्य दलों के नेताओं ने शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की। इन विपक्षी दलों ने जेएनयू के विवाद में राष्ट्रपति से तुरंत हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। इन नेताओं ने इस संबंध में राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने छात्र नेता कन्हैया कुमार को तुरंत रिहा करने और उनके खिलाफ देशद्रोह सहित सभी मामलों को वापस लेने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया कि आरएसएस और भाजपा लोगों के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर खुलेआम हमला कर रहे हैं और देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप कर स्थिति को सामान्य बनाने का अनुरोध किया गया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल इन नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं और इन आरोपों को गढने वाले लोगों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, जदयू के पवन वर्मा, राजद के प्रेमचंद गुप्ता, एनसीपी के डीपी त्रिपाठी शामिल हैं।

छह वामपंथी दलों ने शुक्रवार को जेएनयू छात्र संघ के नेता कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग करते हुए उन लोगों को दंडित करने को कहा, जिनके ‘झूठे सबूत’ के आधार पर कन्हैया को गिरफ्तार किया गया। कन्हैया पर परिसर में कश्मीर मुद्दे पर एक बैठक के दौरान राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का आरोप है। वाम दलों ने कहा कि यह गिरफ्तारी ‘देश में सांप्रदायिक धुव्रीकरण तेज करने के प्रयास का एक हिस्सा है।’ यह संयुक्त बयान माकपा, भाकपा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक, सीपीआई माक्र्सवादी-लेनिनवादी-लिबरेशन और सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया-कम्युनिस्ट की ओर से जारी किया गया। वामपंथी दलों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर 23-25 फरवरी को अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे। इन दलों ने आरोप लगाया कि वे आरएसएस-भाजपाद्वारा वाम दलों और दूसरी प्रगतिशील ताकतों के खिलाफ किए गए हमले की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू के खिलाफ यह कार्रवाई सांप्रदायिक ताकतों द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों में अपने एजेंडे को लागू करने की साजिश का एक हिस्सा है।

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