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नई दिल्ली: जनता दल (यू) अध्यक्ष शरद यादव ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा वापस लेने के कथित कदम को लेकर सरकार पर आज (शुक्रवार) हमला किया। उन्होंने कहा कि यह मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन करेगा और संविधान के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर समुदाय के भीतर अशांति है। उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, ‘यह संविधान और देश के धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना के खिलाफ है। यह बेतुका है कि अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा बनाए गए संस्थान अपना अल्पसंख्यक दर्जा खो देंगे। यह न सिर्फ उनका मनोबल गिराएगा बल्कि लोग भी खतरा महसूस करेंगे क्योंकि यह दिखाएगा कि संविधान और संसद द्वारा पारित अधिनियम का कोई मूल्य नहीं है।’

यादव ने याद दिलाया कि सरकार ने 1981 में एएमयू अधिनियम में संशोधन किया था जिसमें स्वीकार किया गया था कि इसे मुस्लिमों ने मुस्लिमों के लिए स्थापित किया था। यह भी स्वीकार किया गया था कि एएमयू का संचालन उसकी निर्वाचित कोर्ट द्वारा होना चाहिए और उसे एक अल्पसंख्यक संस्थान माना जाए। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर इस संबंध में यू-टर्न लेने का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘यह परेशान करने वाली बात है कि 11 जनवरी 2016 को जब मामला अंतिम निस्तारण के लिए आया तो सरकार ने इस मुद्दे पर पूरा यू-टर्न लिया और कहा कि वह पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे को वापस लेना चाहती है।’ यादव ने कहा, ‘मुझे चिंता है कि यह कदम अल्पसंख्यकों और विशेष तौर पर मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन करेगा। समुदाय में एएमयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया का अल्पसंख्यक दर्जा वापस लेने के कदम को लेकर अशांति है।’ यादव ने कहा कि अल्पसंख्यक दर्जा इस बात को सुनिश्चित करता है कि वे अपनी प्रकृति को बरकरार रख सकते हैं और अपने समुदाय का समर्थन भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इस सरकार के कदम का जोरदार विरोध करता हूं और उससे अनुरोध करूंगा कि वह ऐसे किसी कदम से बचे जो अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ करता हो।’

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