नई दिल्ली: 'जेएनयू में जो कुछ हुआ, उसे लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और आतंकवादी हाफ़िज़ सईद का समर्थन हासिल था', अपने इस बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह विवाद में फंस गए हैं। विपक्ष उनसे सबूत मांग रहा है कि जेएनयू में जो कुछ हुआ, उसमें हाफ़िज़ सईद की संलिप्तता के बारे में गृह मंत्री को जानकारी कैसे मिली? राजनाथ के बयान के तुरंत बाद विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री जेएनयू परिसर में हुए कार्यक्रम को लेकर किए गए अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें। देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग कर रहे छात्रों को उस वक्त बड़ी ताकत मिली जब देश की 40 यूनिवर्सिटी के शिक्षक संघों ने जेएनयू के छात्रों एवं शिक्षकों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन को समर्थन देने की घोषणा की। जेएनयू शिक्षक संघ भी मामले से ठीक से न निपटने को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। शिक्षक संघ खासकर इस बात से नाराज है कि यूनिवर्सिटी की ओर से गठित उच्च-स्तरीय जांच समिति की छानबीन पूरी होने से पहले पुलिस कार्रवाई की इजाजत क्यों दी गई। शिक्षक छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं।
जेएनयू में पुलिस कार्रवाई के मुद्दे पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच राजनाथ ने दावा किया, ‘जेएनयू की घटना को हाफिज सईद का समर्थन मिला है। यह ऐसा सच है जिसे देश को समझना चाहिए।’ राजनाथ ने कहा, ‘जो कुछ हुआ है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’ गृह मंत्री के इस बयान ने विवाद पैदा कर दिया। विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि छात्रों के खिलाफ लगाया गया यह काफी ‘गंभीर आरोप’ है और सभी के साथ सबूत साझा किया जाना चाहिए। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गृह मंत्री को सामने आकर सारे सबूत देश के साथ साझा करना चाहिए ताकि वह अपने इस ‘गंभीर आरोप’ को साबित कर सकें। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने भी मांग की कि सबूत सार्वजनिक किए जाने चाहिए। राजनाथ ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब पिछले दिनों कथित तौर पर सईद की ओर से कुछ ट्वीट किए गए और पाकिस्तानियों से अपील की गई कि वे जेएनयू के प्रदर्शन का समर्थन करें। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या वे ट्वीट वाकई सईद की ओर से किए गए थे। जेएनयू के छात्रों एवं शिक्षकों के समर्थन में उतरे केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के फेडरेशन की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों ने जेएनयू छात्रों और शिक्षकों को अपना समर्थन दिया है। इस बीच, जेएनयू परिसर में पिछले दिनों आयोजित विवादित कार्यक्रम के सिलसिले में शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोके गए यूनिवर्सिटी के आठ में से सात छात्रों को मामले की जांच कर रही उच्च-स्तरीय समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया है। जेएनयू के रजिस्ट्रार भुपिंदर जुत्शी ने कहा, ‘सात छात्रों को नोटिस भेजकर मामले की जांच कर रही यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। कन्हैया सहित आठ छात्रों को जांच पूरी होने तक शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है।’ रजिस्ट्रार ने कहा, ‘जिन छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोका गया है, उन्हें छात्रावास में रहने की अनुमति दी गई है क्योंकि उन्हें जांच समिति की बैठकों में हिस्सा लेना होगा।’ दूसरी ओर, जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम पर पैदा हुए विवाद के तूल पकड़ने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब साझा किया जा रहा है जिसमें कथित तौर पर आरएसएस-भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद :एबीवीपी: के सदस्य पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करते दिख रहे हैं। बहरहाल, एबीवीपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि संगठन की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो से ‘छेड़छाड़’ की गई है। ‘दि कॉंस्पिरेसी’ शीषर्क से सोशल मीडिया पर डाले गए एक मिनट 32 सेकंड के इस वीडियो में कथित तौर पर एबीवीपी से जुड़े छात्र ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते दिख रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गृह मंत्री ने गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें सबूत पेश करना चाहिए। पुलिस ने नौ फरवरी को हुई भारत-विरोधी नारेबाजी में कथित तौर पर शामिल 13 छात्रों का पता लगाने के लिए एक टीम गठित की है। दक्षिण दिल्ली के पुलिस उपायुक्त प्रेम नाथ ने भी शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले की जांच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के हवाले करने को कहा है। छात्रों ने कन्हैया की गिरफ्तारी तक कल से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है जबकि शिक्षक संघ ने कहा कि उसने अब तक इस पर फैसला नहीं किया है। कन्हैया को शुक्रवार को देशद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप लगा है। बिहार के बेगूसराय के रहने वाले कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद उनकी मां स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी मत कहिए।’ हर महीने 3,500 रुपए कमाने वाली आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करने वाली मीना देवी ने कहा कहा, ‘हम कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद से ही लगातार टीवी देख रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि पुलिस उसे ज्यादा मार नहीं रही होगी। देश को तो छोड़िए, उसने कभी अपने माता-पिता का अनादर नहीं किया। कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी न कहें। वह आतंकवादी नहीं हो सकता।’ जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार ने छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे कानून को अपना काम करने दें और यूनिवर्सिटी में सद्भावपूर्ण माहौल बनाए रखें। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने हाफिज सईद के नाम से चलाए जा रहे उस ट्विटर हैंडल की जांच शुरू कर दी है जिससे जेएनयू छात्रों के प्रदर्शन के समर्थन में कथित ट्वीट किए गए थे। गौर करने वाली बात यह है कि यह ट्विटर हैंडल अब नजर नहीं आ रहा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें पता चला है कि ट्विटर हैंडल हटा दिया गया है। हमने मामले की जांच शुरू कर दी है। यह पता लगाया जा रहा है कि इसे चला कौन रहा था। डाले गए पोस्ट के कारण उस पर देशद्रोह का आरोप भी लगाया जा सकता है।’