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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाने के राज्यों के अधिकार को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) आज (गुरूवार) खारिज कर दी। इसके साथ ने कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए इंटरनेट को बंद करना राज्य सरकार का अधिकार है। इसे फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति आर भानुमति की खंडपीठ ने इस संबंध में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गौरव सुरेशभाई व्यास की अपील की सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने दंड विधान संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 और टेलीग्राफ अधिनियम की धारा पांच के तहत राज्य सरकारों को दिये गए अधिकारों को चुनौती दी थी। राज्य सरकारें इन धाराओं में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट सहित कई सेवाएं रोक सकती हैं।

याचिकाकर्ता ने गुजरात में पाटीदार आंदोलन के दौरान मोबाइल इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराने संबंधी गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया था कि वह भविष्य में इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए, लेकिन वहां से उसे राहत नहीं मिली थी, जिसके बाद उसने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

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