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लखनऊ: आदिपुरुष फिल्म को लेकर जारी विवाद थमने के बजाय और बढ़ता ही जा रहा है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने न सिर्फ फिल्म के मेकर्स को फटकार लगाई है बल्कि सेंसर बोर्ड को भी खरी-खोटी सुनाई है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिल्म का संवाद लिखने वाले मनोज मुंतशिर शुक्ला को भी मामले में पार्टी बनाने के आदेश दिए है। अदालत ने मनोज को नोटिस भेजकर एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है।

कुछ सीन्स तो ए कटेगरी के हैं: कोर्ट

लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि फ़िल्म में जिस तरह के संवाद हैं वो बड़ा मुद्दा है, रामायण लोगों के लिए मिसाल है और वे इसे पढ़कर घर से निकलते हैं। अदालत ने कहा कि कुछ चीजों को फिल्म में नहीं छूना चाहिए था। ये तो अच्छा हुआ कि लोगों ने फिल्म देखने के बाद क़ानून व्यवस्था को नुक़सान नहीं पहुंचाया। फिल्म में भगवान हनुमान और देवी सीता को ऐसा दिखाया गया है, जैसे वे क्या ही हों। अदालत ने ये भी कहा कि फिल्म में कुछ सीन्स तो ए कटेगरी की लग रही हैं, इन्हें पहले ही हटा दिया जाना चाहिए था।

मुंबई: मुंबई पुलिस ने मंगलवार को शो के एक एक्टर की शिकायत पर "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" के निर्माता असित कुमार मोदी, ऑपरेशन हेड सोहेल रमानी और कार्यकारी निर्माता जतिन बजाज के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पवई पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है।

पिछले महीने एक एक्टर ने निर्माता असित कुमार मोदी और क्रू के दो अन्य सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

मुंबई पुलिस ने बताया, "पवई पुलिस ने तारक मेहता का उल्टा चश्मा के निर्माता असित कुमार मोदी और उनकी टीम के दो अन्य सदस्यों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में एक्टर का बयान दर्ज किया। पुलिस जल्द ही असित कुमार मोदी को उनके बयान के लिए समन करेगी।" हालांकि, असित मोदी ने आरोपों से इंकार किया है और उन्हें निराधार बताया है।

उज्जैन: बॉलीवुड एक्टर प्रभास और कृति सेनन की मेगा बजट फिल्म आदिपुरुष सिनेमा घरों में रिलीज हो चुकी है। इसके रिलीज होते ही लोगों की प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई है। कई लोगों को फिल्म के डायलॉग और सीन को लेकर आपत्ति है। इसी कड़ी में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के संतों ने भी फिल्म पर नाराजगी जाहिर की है।

उन्होंने बाकायदा वीडियो जारी कर कहा है कि फिल्म में आवरण और आचरण हमारे ग्रंथों के अनुसार नहीं हैं। जो फिल्मकार पैसा कमाने के उद्देश्य से फिल्म बना रहे हैं और हिंदुओं को भावनाओं को बार-बार आहत कर रहे हैं वे सुधर जाएं।

संतों ने सेंसर बोर्ड को लेकर भी तंज कसा है। संतों ने कहा है कि हिंदू धर्म की फिल्मों पर सेंसर बोर्ड की कैंची बगल में रख दी जाती है, जबकि अन्य धर्मों की फिल्मों में अगर छेड़छाड़ हो जाए तो तत्काल दृश्य काट दिए जाते हैं। संतों ने सेंसर बोर्ड में सलाहकार नियुक्त करने की मांग की है। महामंडलेश्वर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के स्वामी शैलेशानंद गिरी ने कहा कि आज के आधुनिक युग में हर क्रिया, वस्तु, मंदिर को उत्पाद माना जाने लगा है।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में फिल्म ‘द केरल स्टोरी‘ से बैन हटा लिया है। साथ ही तमिलनाडु सरकार को भी निर्देश दिया है कि सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों को सरकार पर्याप्त सुरक्षा दे। फिल्म निर्माता ने ये भी माना की 32 हजार महिलाओं का डेटा प्रमाणित नहीं है। निर्माता की ओर से कहा गया है कि वो 20 मई तक डिस्क्लेमर देंगे कि 32,000 महिलाओं के डेटा के लिए कोई प्रमाणिक सत्यापित डेटा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 मई शाम 5 बजे तक डिस्क्लेमर लगाना होगा कि 32,000 का आंकडे का कोई पुख्ता आधार नहीं है। कोर्ट ने निर्माता को ये आदेश भी दिया है कि डिस्क्लेमर दें कि ये फिल्म फिक्शन पर है।

बता दें कि ‘द केरल स्टोरी‘ के टीजर में ये दावा किया गया था कि केरल में 32 हजार महिलाओं का धर्म परिवर्तन किया गया और उन्हें आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन में भर्ती किया गया। उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डिस्क्लेमर लगाने के आदेश दिए हैं। इससे पहले बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए।

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