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गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज
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नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में शनिवार को कई अहम एलान हुए। इनमें सबसे बड़ा फैसला एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लेकर रहा। सरकारी कर्मचारियों के लिए लाई गई इस योजना में कई बड़े एलान हैं। यूपीएस की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की तरह ही सरकारी कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद औसत मूल वेतन की 50 फीसदी राशि मिलेगी। हालांकि, इसके लिए कई मानक और नियम भी तय किए गए हैं।

एकीकृत पेंशन योजना की सिफारिश को मंजूरी

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने एकीकृत पेंशन योजना यानी यूपीएस को मंजूरी दी है। सरकारी कर्मचारी देशभर में सामान्य नागरिकों की सेवा करते हैं। रेलवे, पुलिस, डाक सेवा, चिकित्सा जैसी सेवाओं में देशभर में सरकारी कर्मचारी सामान्य नागरिकों को अपनी सेवाएं देते हैं। इससे समाज की एक व्यवस्था चलती है। सरकारी कर्मचारियों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। सरकारी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे समय-समय पर उठते आए हैं, उस पर अच्छे निर्णय भी लिए गए हैं।

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में कहा गया कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी। हालांकि, इन आरोपों को दंपती पहले ही बेबुनियाद बता चुका है। अब अडानी समूह ने भी बयान जारी किया है। उसका कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप दुर्भावनापूर्ण, शरारती और बहकाने के मकसद से लगाए गए हैं।

अडानी समूह ने कहा, 'हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए ताजा आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं। इसके लिए फर्म गलत इरादों से सार्वजनिक तौर पर मौजूद जानकारी के बहकाने वाले तरीके से चुनकर, तथ्यों और कानूनों की उपेक्षा कर निजी लाभ हासिल करने के लिए पूर्व निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंची है।'

अडानी समूह ने आगे कहा, 'हम अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह आरोप गलत दावों का पुनर्चक्रण है, जिनकी पूरी तरह से जांच की गई और निराधार साबित हुए।'

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, दंपती ने रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है। दरअसल, शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी।

क्या है हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट?

10 अगस्त को जारी नवीनतम हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 18 महीने पहले अडानी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की।

माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए हैं।

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। इस रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं। विपक्ष ने तत्काल इस मामले की जांच की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार रात को कांग्रेस की ओर से एक बयान जारी करते हुए कहा, “अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से.. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडों के अंतिम लाभकारी (यानि वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था।”

जयराम रमेश के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोप गौतम अडानी की ओर से सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद बुच के साथ लगातार दो 2022 बैठकों के बारे में नए सवाल खड़े करते हैं।

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