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लखनऊ: समाजवादी पार्टी में चाचा भतीजे के बीच गहराए विवाद के बाद पार्टी की बागडोर अखिलेश के हाथ रहेगी या मुलायम के हाथ, इसे लेकर आने वाले दिन अहम होंगे। मुलायम-शिवपाल बनाम अखिलेश-रामगोपाल। इन दोनों खेमों को अब आने वाले दिनों में कई मोर्चों पर एक दूसरे से जूझना पड़ सकता है और खुद को असली समाजवादी पार्टी साबित करना होगा। पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल को लेकर अब जंग शुरू होने के हालात बन चुके हैं। मुलायम सिंह रामगोपाल यादव द्वारा बुलाये गए रविवार के अधिवेशन को अंसवैधानिक बता चुके हैं। पार्टी संविधान का हवाला देकर वह कह चुके हैं कि रामगोपाल को नहीं अध्यक्ष को अधिवेशन बुलाने का अधिकार है। अब दोनों खेमे अपने अपने प्रत्यावेदन लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं। मुलायम खेमे ने दिखाई होशियारी: मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह के बाद शिवपाल ने टि्वट करके रामगोपाल और अखिलेश यादव के निष्कासन खत्म करने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इस फैसले से संबंधित लिखित आदेश जारी नहीं किया। इस आधार पर मुलायम खेमे को यह कहने का अधिकार मिल गया कि पहले से ही रामगोपाल निष्कासित हैं और अचानक संसदीय बोर्ड की बैठक में इस निर्णय की पुष्टि करवा ली। यह बात भी मुलायम के हक में है कि अधिवेशन तो केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष ही बुला सकता है।

अगर सपा पर दावेदारी का फैसला आयोग करेगा। आयोग ही साइकिल जब्त कर दोनों को नया चुनाव चिह्न दे सकता है। वैसे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश को पार्टी से निकाल कर कहा था कि वह मुख्यमंत्री बदल सकते हैं लेकिन विधायकों का बहुमत अखिलेश यादव के साथ ही है। ऐसे में शिवपाल खेमा चाहकर भी बहुमत को चुनौती देने की हालत में नहीं है। अलबत्ता कुछ विधायक लेकर शिवपाल राजभवन जा सकते हैं। अखिलेश यादव खुद भी राज्यपाल के पास जाकर कह सकते हैं कि उनकी सरकार में बहुमत में है। वह विधानसभा भंग करने की सिफ़ारिश भी कर सकते हैं। उस सूरत में वह कार्यवाहक सीएम के तौर पर काम करते रह सकते हैं लेकिन बहुत कुछ राज्यपाल की रिपोर्ट और केंद्र सरकार के रुख पर निर्भर करता है। सपा के लिए यादव के अलावा अल्पसंख्यक वोट बैंक खासा अहमियत रखता है। विभाजन की सूरत में मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग खासे उहापोह में रहेगा। पिछले दिनों मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश और शिवपाल की मौजूदगी में एक मुस्लिम नेता के हवाले का कहा था कि मुसलमान सरकार और पार्टी से दूर हो रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका कड़ा प्रतिवाद किया था। अब मुसलमान वोट सपा से छिटक सकता है। मुलायम ने कह दिया कि उनके अब तक घोषित प्रत्याशी वही रहेंगे और अखिलेश यादव ने अब तक 235 प्रत्याशी तय किए हैं। अखिलेश ने सोमवार को विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें टिकटों की नई सूची जारी होगी। अब तमाम सीटों पर प्रत्याशी आमने सामने होंगे। वह किस तरह प्रचार करेंगे यह देखने की बात होगी। अखिलेश खेमा पहले से गठजोड़ कर चुनाव लड़ने की तैयारी में था। अब तो अगर वह कांग्रेस रालोद से गठजोड़ करता है तो उसे तमाम सीटों पर प्रत्याशी के टिकट काटने होंगे। जिन्हें यहां टिकट नहीं मिलेगा वह शिवपाल खेमे से टिकट लेंगे।

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