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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): यूपी में समाजवादी पार्टी के अंदर चल रहे आंतरिक घमासान में आमने-सामने खड़े चाचा और भतीजे के बीच वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर तेज़ हो गई है । इस सियासी महाभारत में बुधवार को जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की और तमाम अखिलेश समर्थकों को टिकट नहीं दिया और मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के टिकट काट दिए वह एक नए दंगल की ओर इशारा कर रहा है। इस बीच, अखिलेश ने गुरुवार को अपने समर्थक विधायकों की बैठक बुलाई है। साथ ही सीएम ने विकास परिषद की उपाध्यक्ष सुरभि शुक्ला और उनके पति संदीप शुक्ला को पद से हटा दिया है। संदीप राजकीय निर्माण निगम में सलाहकार थे। उन्हें बुधवार को जारी सूची में सुलतानपुर के सदर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया था। दोनों को पीडब्ल्यूडी व सिंचाई मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव के खासे करीबी माना जाते हैं। इसे मुख्यमंत्री द्वारा समर्थकों को टिकट न मिलने के चलते पलटवार माना जा रहा है। सपा ने पार्टी चल रहे आंतरिक घमासान के बीच दोबारा सरकार बनाने के इरादे से विधानसभा चुनाव के लिए 325 प्रत्याशियों का बुधवार को ऐलान कर दिया। इसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ज्यादातर नजदीकी मंत्रियों व विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा तय इस सूची में प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की छाप नजर आती है। मुलायम ने कई ऐसे नामों पर मुहर लगा दी जिन्हें अखिलेश नहीं चाहते थे।

जबकि तीन मंत्रियों समेत 51 वर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इनमें से ज्यादातर अखिलेश के समर्थक माने जाते हैं। मुलायम ने बाकी 78 सीटें खाली छोड़ दी हैं। इन पर भी जल्द प्रत्याशी तय होंगे। नई सूची में सीएम अखिलेश द्वारा बर्खास्त किए गए 10 मंत्रियों को भी प्रत्याशी बनाया गया है। सूची में 40 यादव और 63 मुस्लिमों को टिकट दिया गया है। अखिलेश सरकार में वनराज्य मंत्री व अयोध्या से विधायक पवन पांडेय का टिकट काट दिया गया है। सपा ने उन्हें अनुशासनहीनता में पार्टी से बर्खास्त कर चुकी थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने उन्हें मंत्री बनाए रखा। मुख्यमंत्री के नजदीकी पंचायती राज मंत्री राम गोविन्द चौधरी का टिकट काटकर नीरज सिंह गुड्डू को उम्मीदवार घोषित किया गया है। कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप को भी झटका लगा है। गोप का टिकट काट कर उनकी जगह केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को उनकी रामनगर सीट से टिकट दे दिया गया है। मंत्री कमाल अख्तर भी प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं, हालांकि उनकी सीट पर कोई प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने शिवपाल यादव समेत शादाब फातिमा, शिवपाल, ओम प्रकाश सिंह, व राजकिशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर किया था। इन्हें सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा सीएम अपने कार्यकाल में समय समय पर जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया वह भी सपा के प्रत्याशी बन गये हैं। इनमें राजा अरिदमन सिंह, नारद राय शिवकुमार बेरिया, योगेश प्रताप सिंह, मनोज पारस व अम्बिका चौधरी शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा रामनगर से, आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम रामपुर के स्वार से चुनाव लड़ेंगे। मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ेंगी। समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सूची घोषित करते हुए पार्टी में चल रही रार के मद्देनजर कहा कि यह सूची मेरी है। मैंने जितना संभव हो सका है, एडजस्ट करने की कोशिश की है। सबने अपने-अपने हिसाब से सूची भेजी थी। कई लोगों के सुझाव लिए जाते हैं लेकिन फाइनल सूची तो मेरी पंसद की है। उन्होंने दोबारा साफ किया कि सपा किसी भी सियासी दल से गठबंधन नहीं करेंगी। मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को सपा दफ्तर में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। मुलायम से पूछा गया कि मुख्यमंत्री ने भी सूची भेजी थी, उसमें कितने लोग लिए गए हैं? इस पर मुलायम ने कहा कि, यह मेरी लिस्ट है, इसमें सबसे ज्यादा मेरे लोग हैं। यह मेरी पसंद की है। इधर-उधर की बात मत पूछिए। मुलायम सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि समाजवादी पार्टी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी यह कह चुका हूं। फिर बार-बार पूछने से क्या मतलब? मुलायम से पूछा गया कि अखिलेश को पार्टी क्या मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश करेगी ? मुलायम ने कहा कि सपा में ऐसी कोई परम्परा नहीं है। दूसरी कुछ पार्टियों में ऐसा रिवाज है, इसलिए वे धराशायी हो जाती हैं। सपा में मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल की बैठक में होता है। मुलायम से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के बाबत पूछा गया तो मुलायम ने कहा कि अखिलेश जहां से चाहें, वहां से चुनाव लड़ सकते हैं।

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