देहरादून (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। अबतक के राहत और बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने 14 शव मिलने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि अभी भी 125 से अधिक लोग लापता हैं। रात में भी बचाव कार्य जारी रहा। नुकसान का आकलन जारी है। सुबह तड़के चार बजे से एक बार फिर बचाव कार्य शुरू हो गया है। सुरंगों के पास से मलबा हटाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इनमें काफी लोग फंसे हुए हैं। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। राज्य सरकार चार और केंद्र सरकार दो लाख रुपये की सहयोग राशि देगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लगभग 203 लोग आपदा में लापता हुए हैं। जिनमें से 11 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। हमें कल तक एक सहायक कंपनी के प्रोजेक्ट तपोवन के बारे में पता नहीं था। हम यह मानकर चल रहे हैं कि दूसरी सुरंग में 35 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। राहत-बचाव कार्य जारी है। डीआईजी गढ़वाल रेंज नीरु गर्ग ने कहा कि हमें सूचित किया गया था कि 178 लोगों को यहां पास जारी किया गया था।
जिनमें से 15 लोगों को रविवार को ही सुरक्षित निकाल लिया गया था।
यह बेहद कठिन परिस्थिति - केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
आपदा ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह बेहद कठिन परिस्थिति है, लेकिन आईटीबीपी ने पहली सुरंग से सफलतापूर्वक लोगों को निकाल लिया है। अब वह दूसरी सुरंग पर कार्य कर रहे हैं। एनडीआरएफ और सेना भी राहत बचाव कार्य में लगी है। दोपहर तक कुछ सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है।
वहीं सोमवार दूसरे दिन जारी राहत बचाव कार्य के तहत एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस की टीम श्रीनगर बांध के आसपास लापता लोगों की खोज में लगी हुई है।
डीआरडीओ और एसएएआई के वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ के लिए रवाना
गृह मंत्रालय (एमएचए) का कहना है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) - स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टेब्लिशमेंट संस्था (एसएएसई) के वैज्ञानिकों की एक टीम कल रात देहरादून के लिए रवाना हुई। जोशीमठ क्षेत्र से निगरानी के लिए वैज्ञानिकों की टीम रवाना हो रही है।
भारतीय सेना का कहना है कि इंजीनियरिंग टास्क फोर्स सहित सेना के कर्मियों के प्रयासों के बाद सुरंग का मुंह साफ कर दिया गया है। जनरेटर और सर्च लाइट लगाकर रात भर काम जारी रखा गया। घटना स्थल पर फील्ड अस्पताल मेडिकल सहायता देते रहे। सोमवार की सुबह पहली रोशनी के साथ ही वायु सेना के विमान राहत बचाव टीम की सहायता कर रहे हैं। हिमस्खलन के खतरे का पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।