नई दिल्ली: गुजरात पुलिस द्वारा 2002 और 2006 के बीच की गईं 22 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तीन मुठभेड़ों के बारे में गुजरात सरकार से संबंधित रिकॉर्ड मांगे हैं। कोर्ट ने गुजरात सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट 15 मार्च को इस मामले पर सुनवाई करेगा।
इससे पहले उक्त याचिका पर नवंबर 2022 में सुनवाई हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे यह विचार करने की जरूरत है कि क्या जस्टिस एचएस बेदी समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर कोई और निर्देश जारी करने की आवश्यकता है? समिति ने 2002 से 2006 के बीच गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ों के कई मामलों की जांच की थी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की पीठ वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज और गीतकार जावेद अख्तर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच का अनुरोध किया गया है। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा था कि इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है क्योंकि रिपोर्ट सौंप दी गई है।
पीठ ने कहा था, सिर्फ एक चीज यह है कि क्या रिपोर्ट के संबंध में कोई निर्देश पारित करने की जरूरत है। हम इस मामले को जनवरी, 2023 में सूचीबद्ध करेंगे, ताकि यह देखा जा सके कि रिपोर्ट के संबंध में कोई और निर्देश जारी किया जाना है या नहीं।
तुषार मेहता ने कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता गुजरात के नहीं हैं, और यह देखने की जरूरत है कि क्या ऐसे मामले में रिट याचिका दायर की जा सकती है? पीठ ने कहा था कि अब काफी पानी बह चुका है और यह सवाल शुरुआत में उठना चाहिए था।
मेहता ने कहा था कि याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कथित फर्जी मुठभेड़ों को लेकर एक विशेष राज्य और एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यकाल को निशाना बनाया है। पीठ ने कहा था कि वर्गीज अब नहीं रहे और इसलिए मामले को यहीं पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
दरअसल बेदी समिति का गठन 2019 में किया गया था. समिति ने जांचे गए 17 में से तीन मामलों में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अंतिम रिपोर्ट में जस्टिस बेदी ने कहा था कि गुजरात पुलिस के अधिकारियों ने प्रथम दृष्टया तीन लोगों- समीर खान, कसम जाफर और हाजी हाजी इस्माइल को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। समिति ने इंस्पेक्टर रैंक के तीन अधिकारियों सहित कुल नौ पुलिस अधिकारियों को आरोपित किया है।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस बेदी को गुजरात में 2002 से 2006 के बीच 17 मुठभेड़ों की जांच कर रही निगरानी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। समिति ने फरवरी 2021 में एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत को सौंपी थी।
इससे पहले नरेंद्र मोदी के सीएम रहने के दौरान गुजरात के कथित 22 फर्जी मुठभेड़ मामलों की याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था।