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नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद शशिकला पुष्पा के खिलाफ उनके दो घरेलू सहायकों द्वारा दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में उच्चतम न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर छह हफ्ते की रोक लगा दी है। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाय चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा है कि उच्च न्यायालय निष्कासित अन्नाद्रमुक नेता की अग्रिम जमानत याचिका पर जल्द फैसला ले। न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिका पर शीर्ष अदालत के आदेश से अप्रभावित रहते हुए फैसला लेगा। पुष्पा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उनकी मुवक्किल फरार नहीं होने जा रही। उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा सदस्य हैं और वकालतनामे में किसी तकनीकी समस्या के चलते उच्च न्यायालय ने उन्हें उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। लूथरा ने अंदेशा जताया कि हो सकता है कि तमिलनाडु में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए। इससे पहले 11 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से कहा था कि पुष्पा, उनके पति और बेटे के खिलाफ 22 अगस्त तक वह कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से भी कहा कि तब तक किसी राहत के लिये वे तमिलनाडु में किसी उपयुक्त अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि अदालत ने मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी कोई भी आदेश नहीं दिया।

पुष्पा के तमिलनाडु स्थित घर पर कथित तौर पर काम करने वाले घरेलू सहायकों ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुष्पा को संसद तक सुरक्षा मुहैया करवाने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर पुष्पा की उस याचिका पर जवाब भी मांगा था जिसमें उन्होंने राज्यसभा सत्र के दौरान सुरक्षा की मांग की थी। द्रमुक सांसद तिरूची शिवा के साथ दिल्ली हवाईअड्डे पर विवाद के बाद पुष्पा को अन्नाद्रमुक ने निष्कासित कर दिया था।

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