नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को पहली बार चुनाव आयोग की ताकत का एहसास कराने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आज कल अकेले एवं गुमनाम जिंदगी गुजार रहे हैं। 85 साल के शेषन पिछले कई सालों से कभी अपने खाली घर में रहते हैं, तो कभी घर से 50 किलोमीटर दूर ओल्ड एज होम में।
शेषन ने जिस वक्त चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी, उस समय बिहार में चुनावों में बड़ी संख्या में गड़बड़ी के मामले सामने आते थे। शेषन इस चुनौती से कारगर तरीके से निपटे। शेषन ने बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारों का सख्ती से इस्तेमाल किया और राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर लालू यादव से लोहा लिया।
शेषन अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी राजनीतिक दलों के दबाव में नहीं आए। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक तरह से देश में साफ-सुथरे चुनाव की नीव रखी। शेषन ने निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार चरणों में वोटिंग कराने की परंपरा शुरू की। यह चुनाव मील का पत्थर बना था। करीबियों के मुताबिक, उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। ऐसे में रिश्तेदारों ने उन्हें चेन्नै के एक बड़े ओल्ड एज होम एसएसम रेजिडेंसी में शिफ्ट करवा दिया।
तीन साल बाद सामान्य होने के बाद अपने फ्लैट में रहने आ गए। लेकिन अभी भी वह कई दिनों के लिए ओल्ड एज होम चले जाते हैं।