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जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट की स्थापना के प्लेटिनम जुबली समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जोधपुर में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने हाईकोर्ट संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन भी किया। प्रधानमंत्री के साथ राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित हैं। हालांकि, इस समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ तबीयत खराब होने के कारण शामिल नहीं हो सके। प्रधानमंत्री मोदी जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर विशेष विमान से पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, और प्रेमचंद बैरवा ने उनका स्वागत किया।

समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तित्व से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास भी जुड़ा है। सरदार पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एकसूत्र में पिरोया था। उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें थीं। जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाईकोर्ट थे। इनके एकीकरण से राजस्थान हाईकोर्ट अस्तित्व में आया।

उन्होंने कहा, राष्ट्रीय एकता ये हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम का भी फाउंडेशन स्टोन है। फाउंडिंग स्टोन जितना मजबूत होगा, हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में 30 हजार से ज्यादा जेलें वीडियो कॉनकॉल से जुड़ गई हैं। मुझे खुशी कि राजस्थान भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इस दौरान प्रधानमंत्री बोलते हुए अचानक रुके… फिर कहा कि 'बुरा मत मानना…हमारे यहां कोर्ट के आगे 'चक्कर' शब्द मंडेटरी हो गया था। कोर्ट का चक्कर, मुकदमे का चक्कर, जिसमें फंस गए तो कब निकलेंगे पता नहीं। आज उस चक्कर शब्द को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके लिए लगातार हमें अपनी न्यायिक व्यवस्था में रिफार्म करना है। आज देश में कम खर्चीले वैकल्पिक डिस्प्यूट मैकेनिज्म की व्यवस्था देश में ईज ऑफ लिविंग के साथ ही ईज ऑफ जस्टिस को भी बढ़ावा देगी। कानूनों में बदलाव करके नए प्रावधान जोड़कर सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। न्याय पालिका के सहयोग से यह व्यवस्थाएं और ज्यादा सशक्त होंगी।

आर्टिकल 370 और सीएए पर बोले…

कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का उदाहरण, देश के सैंवधानिक एकीकरण का उदाहरण…सीएए जैसे कानूनों का उदाहरण हमारे सामाने है। ऐसे मुद्दों पर राष्ट्र हित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है यह हमारी अदालतों के निर्णय से साफ होता रहा है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ऐसे मुद्दों पर राष्ट्र प्रथम जैसे विषयों को सशक्त किया है। अभी मैंने 15 अगस्त को लाल किले से सेक्युलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो लेकिन हमारी ज्यूडशरी दशकों से इसकी वकालत करती आई है।

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