जयपुर: हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन की सरकार चल रही है, लेकिन राजस्थान विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। सवाल ये उठ रहा है कि क्या इससे राजस्थान की सियासत में कोई बदलाव होगा।
राजस्थान के दांता रामगढ़ विधानसभा से रीटा सिंह जननायक जनता पार्टी यानि जेजेपी की उम्मीदवार हैं। प्रदेश के एक प्रमुख सियासी परिवार नारायण सिंह की बहू रीटा सिंह का त्रिकोणीय राजनीतिक मुकाबला बड़ा दिलचस्प है। हरियाणा में भले ही बीजेपी-जेजेपी की सहयोगी पार्टी हो, लेकिन राजस्थान में रीटा सिंह को बीजेपी के उम्मीदवार गजानंद कुमावत से कड़ी राजनीतिक टक्कर मिल रही है। हालांकि ये बात दीगर है कि हरियाणा के गठबंधन का लिहाज करते हुए दोनों ही उम्मीदवार एक दूसरे के लिए सधी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जेजेपी उम्मीदवार रीटा सिंह ने कहा कि ये फैसला हाईकमान का है। बीजेपी-जेजेपी हरियाणा में अच्छा काम कर रही है, लेकिन यहां हम मजबूती से लड़ रहे हैं।
वहीं बीजेपी उम्मीदवार गजानंद कुमावत ने कहा कि हरियाणा में भले गठबंधन है, लेकिन राजस्थान में हम राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बदलाव की बयार बह रही है।
हालांकि हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं और ये सवाल दूसरे नहीं बल्कि खुद बीजेपी के ओपी धनखड़ और वीरेंद्र सिंह जैसे नेता उठा चुके हैं। ऐसे में राजस्थान के स्थानीय नेता जेजेपी के साथ गठबंधन को लेकर विरोध में थे।
राजस्थान में 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जेजेपी
राजस्थान में जेजेपी 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और पार्टी की निगाह हरियाणा से सटे ग्रामीण जाट मतदाताओं पर टिकी है। जानकार कहते हैं कि हरियाणा में जिस तरह महज दस सीटें जीतकर जेजेपी के पास सत्ता की चाभी चली गई थी। उसी तरह उसे उम्मीद है कि राजस्थान में भी अगर त्रिशंकु विधानसभा के आसार बने तो यहां भी उसे सियासी फायदा पहुंच सकता है। यही वजह है कि हरियाणा से सटे सीकर, शेखावटी और अलवर जैसे इलाकों में दुष्यंत चौटाला परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार करते दिख रहे हैं।
अजय सिंह चौटाला दो बार राजस्थान में रहे हैं विधायक
दरअसल देवीलाल परिवार की पैतृक जड़ें राजस्थान के बीकानेर में हैं। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता और जेजेपी के अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला दो बार राजस्थान से विधायक भी बने हैं। पहली बार 1989 में दाता राम गढ़ विधानसभा और फिर 1993 नोहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। लिहाजा वह राजस्थान को अपना कर्मक्षेत्र भी मानते हैं और हर विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारते हैं।