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नई दिल्ली: बॉलीवुड के मशहूर सिंगर-कंपोज़र बप्पी लाहिड़ी का मंगलवार की रात को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। प्यार से बप्पी दा नाम से जाने जाने वाले संगीतकार 69 वर्ष के थे। वो जुहू के क्रिटी केयर अस्पताल में भर्ती थे। क्रिटी केयर अस्पताल के डॉक्टर दीपक नामजोशी ने मीडिया को बताया कि बप्पी दा पिछले एक महीने से बीमार चल रहे थे। उनके फेफड़ों में खराबी आ गई थी।

डॉक्टर ने बताया कि '18 दिन आईसीयू में रहने के बाद जब सब पैरामीटर नॉर्मल हो गए तब सोमवार को डिस्चार्ज कर दिया गया था। लेकिन मंगलवार को उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई। उन्हें अस्पताल लाया गया लेकिन रात 11 बजे के करीब उनका निधन हो गया।' डॉक्टर ने बताया कि बप्पी दा को कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। मंगलवार की रात को उनका निधन ओएसए से हो गया।

वह पिछले साल कोरोना से भी संक्रमित हो गए थे। तब उन्हें जुहू के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वो कुछ दिनों में कोरोना से रिकवर हो गए थे।

बप्पी लाहिरी ने बॉलीवुड को कई हिट गाने दिए। उन्हें भारत में डिस्को बीट्स और पॉप म्यूजिक की शुरुआत करने वाला माना जाता है। आई एम अ डिस्को डांसर, यार बिना चैन कहां रे, तम्मा-तम्मा जैसे गाने उनके मशहूर गाने हैं। सोने की मोटी चेन और चश्मा पहनने के लिए पहचाने जाने वाले गायक-संगीतकार ने 70-80 के दशक में कई फिल्मों में गाने गाए जो काफी हिट रहे। इन फिल्मों में ‘चलते-चलते', ‘डिस्को डांसर' और ‘शराबी' शामिल हैं। उनका आखिरी बॉलीवुड गीत 2020 में आयी फिल्म ‘बागी 3' के लिए ‘भंकस' था।

आखिरी बार स्क्रीन पर उन्हें सलमान खान के साथ रियलिटी शो बिग बॉस 15 पर देखा गया, जहां वो अपने पोते स्वास्तिक के नए गाने 'बच्चा पार्टी' का प्रमोशन करने पहुंचे थे।

भाजपा नेता बिप्लब देब ने उनके निधन पर शोक जताया। देब ने कू पोस्ट के जरिए कहा कि 'उन्होंने भारत का परिचय डिस्को से कराया और भारतीय संगीत में क्रांति लाए। उनका संगीत हमेशा हमारे दिलों में रहेगा।'

बता दें बप्‍पी लाहिरी का असली नाम अलोकेश लाहिरी है। उनका जन्‍म 27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था। इनके पिता का नाम अपरेश लाहिरी और मां का नाम बन्‍सारी लाहिरी है।

लाहिड़ी को 1970 से लेकर 1990 के दौरान भारतीय सिनेमा में ‘‘आय एम ए डिस्को डांसर’’, ‘‘जिम्मी जिम्मी’’, ‘‘पग घुंघरू’’, ‘‘इंतेहा हो गयी’’, ‘‘तम्मा तम्मा लोगे’’, ‘‘यार बिना चैन कहां रे’’, ‘‘आज रपट जाए तो’’ तथा ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीतों से डिस्को संगीत का दौर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।

उन्होंने 2000 के दशक में ‘‘टैक्सी नंबर 9211’’ (2006) का ‘‘बम्बई नगरिया’’ और ‘‘द डर्टी पिक्चर’’ (2011) के ‘‘उह ला ला’’ जैसे हिट गीतों को भी अपनी आवाज दी। वह उन गायकों में से एक हैं जिन्होंने 2014 में आयी फिल्म ‘‘गुंडे’’ का ‘‘तूने मारी एंट्रियां’’ गीत भी गाया था।

उन्होंने बंगाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया।

लाहिड़ी 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए। उन्होंने श्रीरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से हार गए।

उनका आखिरी बॉलीवुड गीत 2020 में आयी फिल्म ‘‘बागी 3’’ का ‘‘भंकास’’ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हर कोई लाहिड़ी के जिंदादिल स्वभाव को याद करेगा।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘बप्पी लाहिड़ी जी के संगीत ने विविध भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त किया। कई पीढ़ियों के लोग उनके संगीत से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। हर कोई उनकी जिंदादिली को याद करेगा। मैं उनके निधन से दुखी हूं। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।’’

फिल्म इंडस्ट्री में भी कई लोगों ने गायक के निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें बॉलीवुड में संगीत का एक नया अंदाज पेश करने वाले कलाकार के तौर पर याद किया। लाहिड़ी को उनके प्रशंसक प्यार से ‘बप्पी दा’ बुलाते थे।

बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने कहा, ‘‘उन्होंने चलते चलते, सुरक्षा और डिस्को डांसर के साथ हिंदी फिल्म संगीत को अधिक समकालीन शैली दी। शांति दादा। आप याद आएंगे।’’

गायिका अनुराधा जुजु पलाकुर्ति ने कहा कि लाहिड़ी के निधन से उन्होंने एक मार्गदर्शक खो दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक मार्गदर्शक खो दिया, इंडस्ट्री ने एक दिग्गज को खो दिया, जिनका काम हमेशा चमकता रहेगा, दुनिया ने असाधारण अच्छाई और दयालु स्वभाव वाले ‘सात्विक’ व्यक्ति को खो दिया है तथा परिवार ने प्यार करने वाले पति, पिता और दादा को खो दिया है।’’

फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने लाहिड़ी को अद्भुत मधुर आवाज वाला और प्रतिभाशाली व्यक्ति बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एक और दिग्गज चला गया।’’

लाहिड़ी का जन्म पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में संगीतकारों के एक परिवार में 1952 में हुआ। लाहिड़ी का संगीत के प्रति प्रेम तीन वर्ष की आयु में ही शुरू हो गया था जब उन्होंने तबला बजाना शुरू किया।

उनके लिए ‘‘पग घुंघरू’’ और ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीत गाने वाले मशहूर गायक किशोर कुमार उनके ‘‘मामा’’ थे।

न केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि लाहिड़ी बंगाली सिनेमा में भी लोकप्रिय नाम थे, जहां उन्होंने 1972 में आयी फिल्म ‘‘दादू’’ से अपने करियर की शुरुआत की। बतौर संगीतकार उनकी पहली हिंदी फिल्म 1973 में आयी ‘‘नन्हा शिकारी’’ थी। ‘‘जख्मी’’ फिल्म के लिए गाना गाने और संगीत देने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

‘‘जख्मी’’ के बाद उन्हेांने ‘‘चलते चलते’’, ‘‘सुरक्षा’’ और अन्य फिल्मों में काम किया और उनका डिस्को संगीत युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि उन्हें भारत के ‘‘डिस्को किंग’’ की उपाधि दे दी गयी।

गायक ने 2019 में एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अपने युग के कुछ बड़े सितारों के लिए गाना गाने को लेकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।

उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे यह सफर तय करके और इंडस्ट्री में अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करके काफी गर्व महसूस होता है। मैंने दिलीप कुमार से लेकर रणवीर सिंह तक के लिए काम किया। ‘धर्म अधिकारी’ से लेकर ‘गुंडे’ तक में काम किया है।’’

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