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नई दिल्ली: सरकार ने आम बजट से पहले पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) एक रुपये तथा डीजल पर 1.50 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया। इस महीने पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पाद शुल्क में यह तीसरी बढ़ोतरी है, जिससे सरकारी खजाने को लगभग 3,200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। हालांकि, उत्पाद शुल्क में इस बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी, क्योंकि इसे पेट्रोल, डीजल के खुदरा दाम में होने वाली संभावित कटौती के बदले समायोजित कर लिया जाएगा जो कि कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में कमी के चलते की जा सकती है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने एक अधिसूचना में कहा है कि सामान्य यानी बिना ब्रांड वाले पेट्रोल पर मूल उत्पाद शुल्क को 8.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 9.48 रुपये प्रति लीटर किया गया है।

इसी तरह बिना ब्रांड वाले डीजल पर उत्पाद शुल्क को 9.83 रुपये से बढाकर 11.33 रुपये प्रति लीटर किया गया है। उत्पाद शुल्क में इस बढ़ोतरी से सरकार को इस वित्त वर्ष की बाकी अवधि के दौरान 3200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। कच्चे तेल की कीमतों में कमी का फायदा उठाते हुए सरकार ने इसी महीने पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पाद शुल्क में यह तीसरी बढ़ोतरी की है। सरकार ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है, जबकि सरकार को इस साल का विनिवेश लक्ष्य हासिल किए जाने की संभावना नहीं है। सरकार ने 16 जनवरी को उत्पाद शुल्क में पेट्रोल के लिए 0.75 रुपये और डीजल के लिए दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। इससे पहले 2 जनवरी को इसमें क्रमश: 0.37 रुपये और दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। इसके साथ ही सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में कुल मिलाकर पांच बार वृद्धि कर चुकी है। उत्पाद शुल्क में उक्त पांच बढ़ोतरियों से सरकार को अपने बजटीय घाटे की भरपाई के लिए 17,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।

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