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नई दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन में मई में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार का हल्का संकेत देता है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गयी जो कि 22 महीने का उच्च स्तर है। मुद्रास्फीति बढ़ने के बाद रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश कम हुई है। टिकाऊ उपभोक्ता सामान तथा विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन मई में 1.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि इससे पिछले महीने में इसमें 1.35 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। देश के औद्योगिक उत्पादन में होने वाली वृद्धि को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के रूप में मापा जाता है। इसमें पिछले वर्ष मई में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार हालांकि संचयी आधार पर औद्योगिक उत्पादन में अप्रैल-मई में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में इसमें 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक माह पहले मई में 5.76 प्रतिशत जबकि एक साल पहले जून में 5.40 प्रतिशत पा थी। इससे पहले अगस्त 2014 में उपभोक्ता मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत पर थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति जून-2016 में बढ़कर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो इससे पिछले महीने 7.47 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर आलोच्य महीने में 14.74 प्रतिशत रही जो मई में 10.77 प्रतिशत थी।

अनाज एवं संबद्ध उत्पादों की मुद्रास्फीति जून में 3.07 प्रतिशत रही जो पिछले महीने में 2.59 प्रतिशत पर थी। मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत से उपर बने रहने के साथ अगस्त में रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा पर नजर होगी क्योंकि शीर्ष बैंक मुद्रास्फीति के लक्ष्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देता रहा है।

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