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नई दिल्ली: आयकर विभाग ने पनामा पेपर्स लीक्स मामले में लगभग एक दर्जन देशों से संपर्क साधा है। ताकि उन भारतीय व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई योग्य साक्ष्य मिल सके, जिनका नाम इस मामले में आया है पर वे जानकारी देने से बच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के विशेष प्रकोष्ठ ने स्विट्जरलैंड, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और ब्रिटेन सहित कई देशों में अपने समकक्ष निकायों को अनेक आग्रह भेजे हैं। दरअसल, सूची में जिन भारतीयों का नाम है, उनमें से कोई कमाई या लाभ मिलने से इनकार कर रहे हैं। जबकि कर अधिकारियों के पास ऐसे कुछ साक्ष्य हैं, जिनसे उन व्यक्तियों को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। भारत की इस समय 137 देशों के साथ कर संधियां हैं, जिनसे सूचनाएं मांगी जा सकती हैं। एसआईटी के प्रमुख पूर्व जस्टिस एमबी शाह हाल ही में कहा था कि जांच एजेंसियों को इस मामले की तह में जाने में दिक्कत आ रही है क्योंकि एक तो उन्हें विशिष्ट खाता संख्या नहीं मिल रही है। दूसरा सूची में जिनके नाम हैं, वे भी कर अधिकारियों को ब्योरा नहीं दे रहे हैं। गौरतलब है कि पनामा पेपर्स लीक्स में भारत के करीब 500 लोगों या कंपनियों के नाम सामने आए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि विदेशों में भारतीयों द्वारा काला धन छिपाने के मामले में भारी कमी आई है। ऐसा काले धन के खिलाफ मोदी सरकार की दो साल की सक्रियता के कारण हुआ था।

उन्होंने कहा कि जी-20 देशों की साझा कार्रवाई और नई तकनीक के कारण देश-विदेश में कालाधन छिपाना मुश्किल होगा। इससे आज उन लोगों में घबड़ाहट है, जो देश के बाहर संपत्ति छिपाए हुए हैं। जेटली ने कहा कि काले धन के खुलासे के लिए सितंबर तक मोहलत देने के साथ सरकार ने एचएसबीसी और पनामा दस्तावेज खुलासे के आधार पर कार्रवाई तेज की है। इससे काला धन वापस लाने में मदद मिली है।

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