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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सोचने वाली बात है कि क्या हमें बचत पर ऊंची ब्याज दर जारी रखनी चाहिए क्योंकि इससे कर्ज महंगा होता है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है। निजी क्षेत्र में निवेश अभी भी गति नहीं पकड़ पाया है। ऐसे परिवेश के बीच वित्त मंत्री ने यह विचार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति इस मामले में काफी विचित्र है क्योंकि यहां घरेलू बचत दर भी काफी ऊंची है। जेटली ने सवाल उठाते हुये कहा, ‘क्या हमें घरेलू बचत का प्रयोग केवल ऊंची ब्याज आय वाले साधनों में ही करना चाहिए और ऐसी ब्याज व्यवस्था बनानी चाहिए जो कि बहुत महंगी हो और अर्थव्यवस्था को धीमी बनाती हो या फिर हमें ऊंची ब्याज दरें ऐसे कोषों, बांड और शेयरों के माध्यम से मिलनी चाहिए जो कि आर्थिक गतिविधियों और परियोजनाओं का वित्तपोषण करते हैं।’ बीएसई के 140 वर्ष पूरे होने की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के दौरान जेटली ने कहा कि सारी आर्थिक गतिविधियों का सार निवेश में है और यह वहां से आता है जहां संसाधन उपलब्ध होते हैं। उन्होंने कहा, ‘इनमें से कई सारे माध्यम सुरक्षित निवेश भी हैं जो लोगों को एक बहुत अच्छा मुनाफा देते हैं। यही वह आधार है जिस पर दुनियाभर के पेंशन कोष काम कर रहे हैं।

मेरा मानना है कि इन माध्यमों से हम अगले कुछ सालों और दशकों में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक से अधिक अवसर हमारे पास आएंगे।’

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