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नई दिल्ली: आयकर विभाग ने वैश्विक स्तर पर हुए खुलासे के बाद भारतीयों की विदेशों में रखी संपत्ति के बारे में जांच से 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाने का दावा किया है। विभाग ने करीब 200 इकाइयों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू की है। पहले मामले में विभाग ने अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के समूह (ICIJ) द्वारा किए गए खुलासे के बाद विदेशों में भारतीयों के खातों में 5,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगा। वैश्विक स्तर पर ऐसे संपत्ति धारकों का खुलासा 2013 में किया गया था। आईसीआईजे की रिपोर्ट में इस खुलासे के तहत 700 भारतीयों के नाम का खुलासा किया गया था। इनमें से 462 ऐसे मामले हैं, जिनमें कार्रवाई हो सकती है। विभाग ने पहले ही देशभर में विभिन्न अदालतों में दो दर्जन मामलों में 55 मुकदमे शुरू किए हैं। इसमें कहा गया है कि इस सूची में जिन लोगों का नाम है, उनमें से कुछ ने नए कालाधन कानून 'कालाधन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) और 2015 के कर कानून के प्रावधानों के तहत अपनी अघोषित संपत्ति की घोषणा की है। आंकड़ों में कहा गया है कि अदालतों में यह शिकायतें तब दायर की गई हैं, जबकि यह साफ हो गया कि इन मामलों में जानबूझकर कर चोरी का प्रयास किया गया। दूसरे मामले में कर अधिकारियों ने एचएसबीसी की जिनेवा सूची में शामिल नामों से 8,186 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाने का दावा किया है।

भारत को यह सूची 2011 में फ्रांस सरकार से हासिल हुई थी। इस सूची के तहत कुल 628 मामलों में से विभाग को 415 मामलों में कार्रवाई के लिए प्रमाण मिले हैं। 398 मामलों में आकलन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आंकड़ों में कहा गया है कि आईसीआईजे तथा एचएसबीसी की सूची में सामने आए नामों के पास कुल 13,186 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया गया है। विभाग ने कहा कि उसने एचएसबीसी के मामलों में देशभर में विभिन्न अदालतों में 164 अभियोजन दायर किए हैं। कर अधिकारियों ने एचएसबीसी के कुल 398 मामलों में से 159 में जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बारे में तैयार रूपरेखा के अनुसार आयकर विभाग इन दोनों सूचियों के मामले में 200 से अधिक अभियोजन दायर करेगा।

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