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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों व पेंशनधारकों के वेतन-भत्तों व पेंशन में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बढ़ोतरी करने के फैसले का घरेलू अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा, क्योंकि इससे उपभोग मांग बढ़ेगी। इससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने की आशंका है, लेकिन इसका जोखिम सीमित ही रहने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को सातवें वेतन आयेाग की सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। आयोग ने वेतन-भत्तों में कुल मिलाकर 23.5 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की है। विशेषज्ञों का कहना है कि वेतन-भत्ते बढ़ाने से उपभोक्ता मांग विशेष तौर पर टिकाऊ उपभोक्ता एवं सेवा क्षेत्र में मांग बढ़ेगी। इससे चालू वित्त वर्ष में 7.9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी। 2015-16 में वृद्धि 7.6 प्रतिशत थी। इकरा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘वेतन आयेाग की सिफारिश को लागू करने का उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं मांग पर अच्छा असर होगा। कुल मिलाकर आर्थिक वृद्धि के लिए यह अच्छा रहेगा और इससे मुद्रास्फीति का हल्का जोखिम भी होगा।’’ क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, ‘‘सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल ऐसे समय में हो रहा है जबकि वैश्विक स्तर पर हम ब्रेक्जिट के कारण नरमी के जोखिम का सामना कर रहे हैं।

घरेलू मांग और अच्छे मानसून से वृद्धि तेज होगी। हमारा अनुमान है कि 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा वेतन के बकाए के भुगतान से भी उपभोक्ता मांग को थोड़ी मदद मिलेगी।’’ मुद्रास्फीति के असर के बारे में नायर ने कहा कि सेवा मुद्रास्फीति में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है पर अभी स्थापित विनिर्माण क्षमताओं का उपयोग पूरा नहीं हो रहा है, इसलिए मांग बढने के बावजूद मुद्रास्फीति का ज्यादा खतरा नहीं लगता। जोशी ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल में गिरावट और जिंस मूल्य तथा अच्छे मानसून से सातवें वेतन आयोग से कीमत पर पड़ने वाले किसी असर की भरपाई हो जाएगी।’’ इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. देवेंद्र पंत ने कहा कि इस निर्णय से घरेलू अर्थव्यवस्था में उपभोग 451.1 अरब रुपए यानी सकल घरेलू उत्पाद के 0.30 प्रतिशत तथा बचत 307.1 अरब रुपए यानी जीडीपी के 20 प्रतिशत के बराबर बढ़ेगी। इंडिया रेटिंग का मानना है कि इस निर्णय के लागू होने से केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा लगाने के बाद चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के शुद्ध कर राजस्व में 0.09 प्रतिशत यानी 141 अरब रुपए की वृद्धि होगी। इस एजेंसी का मानना है कि संशोधित वेतन इस साल पहली जनवरी से तथा बढ़े हुए भत्ते एक जुलाई से लागू किए जाने हैं। इससे 7वें वेतन आयोग का सकल प्रभाव 947.75 अरब रुपए यानी जीडीपी के 0.63 प्रतिशत के बराबर रहने का अनुमान है। बढ़े हुए भुगतान पर केंद्र आयकर तथा उपभोग पर उत्पाद शुल्क हासिल करेगा। इस तरह केंद्रीय खजाने पर इसका शुद्ध प्रभाव 806.41 अरब डॉलर रहने की संभावना है।

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