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नई दिल्ली: खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि टमाटर, प्याज और आलू की की उपज की कीमतों में उतार-चढ़ाव मौसमी परिस्थितियों समेत अन्य कई कारकों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इन कारकों में इन उपजों का गैर पारंपरिक इलाकों से आना, फसल बुवाई के तरीके में मौसम के अनुसार बदलाव, अगले रबी या खरीफ मौसम से फसल की जल्दी आवक और पिछले सीजन की फसल के अवशेष आदि शामिल हैं।

संसद में चल रहे बजट सत्र के दौरान मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ऑपरेशन ग्रीन्स (ओजी) के अल्पकालिक हस्तक्षेप के तहत फसल के मौसम में अधिसूचित फलों और सब्जियों के लिए परिवहन और भंडारण में 50 फीसदी सब्सिडी देता है। इससे किसानों के साथट-साथ उपभोक्ताओं के लिए भी कीमतों में स्थिरता लाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि टमाटर, प्याज और आलू की वर्तमान कीमतों पर निगरानी के लिए मंत्रालय मार्केट इंटेलिजेंस एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम पोर्टल की देखरेख भी कर रहा है।

उन्होंने कहा, यह काम भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नाफेड) के जरिए किया जा रहा है और इसी के अनुसार राज्यों के संबंधित विभागों को कम कीमत के अलर्ट समय समय पर भेजे जाते हैं।

तय की गई खाद्य तेल की भंडारण सीमा

उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा है कि खाद्य तेलों की कीमतों को घटाने के लिए एक प्रयास में सरकार ने 30 जून 2022 तक खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक सीमा मात्रा निर्दिष्ट करने का आदेश जारी किया है। इसके अनुसार खाद्य तेलों के लिए स्टॉक की सीमा खुदरा विक्रेताओं के लिए 30 कुंतल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 कुंतल, थोक उपभोक्ताओं की खुदरा दुकानों के लिए 30 कुंतल , बड़े चेन रिटेलरों व दुकानों के लिए 30 कुंतल और इसके डिपो के लिए 1000 कुंतल होगी।

खाद्य तिलहन के लिए, खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 100 कुंतल और थोक विक्रेताओं के लिए 2000 कुंतल होगी। खाद्य तेलों और तिलहनों के प्रसंस्करणकर्ता दैनिक इनपुट उत्पादन क्षमता के अनुसार खाद्य तेलों के 90 दिनों के उत्पादन का स्टॉक कर सकेंगे।

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