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नई दिल्‍ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लगातार बदलती प्रौद्योगिकी और मोबाइल से होने वाले पेमेंट के प्रभावी रेगुलेशन के लिए ग्‍लोबल स्‍तर पर कार्रवाई का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि अब तक, नियामक लगातार विकसित हो रही तकनीक को रेगुलेट करने में लगे हैं। उनके पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिससे इसे रेगुलेट किया जा सके।

उन्‍होंने इंफिनिटी फोरम में कहा कि यहां तक ​​कि जब हम राष्ट्रीय स्तर पर सोच रहे हैं, तब भी एक ग्‍लोबल सिस्‍टम होना चाहिए। इससे हम लगातार प्रौद्योगिकी के बदलने की निगरानी कर पाएंगे। इससे होगा यह कि क्रिप्टोकरेंसी हो या तकनीक से होने वाला पेमेंट, डेटा गोपनीयता- कुछ भी सबकी निगरानी एक तंत्र से हो सकेगी। उन्‍होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर बिल लाने की तैयारी है।

बता दें कि सरकार दी क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगूलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 के जरिए बिटकॉइन जैसी वर्चुअल मुद्रा के नियमन की सोच रही है। साथ ही बिल में क्रिप्टोकरेंसी में इस्‍तेमाल होने वाली तकनीक को बढ़ावा देने की भी बात है। क्‍योंकि सरकार का मानना है कि यह काफी सेफ है।

इससे पहले यूआईडीएआई के सीईओ सौरभ गर्ग ने कहा कि उनकी संस्‍था दुनिया भर में डिजिटल पहचान प्रणाली के निर्माण के लिए दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने पर विचार कर रही है। सौरभ गर्ग ने इन्फिनिटी फोरम में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के साथ एक पैनल चर्चा के दौरान यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि प्राधिकरण सुरक्षा बढ़ाने और आधार से किए जा सकने वाले लेनदेन की संख्या बढ़ाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकी की तलाश कर रहा है। गर्ग ने कहा, "हमें लगता है कि आगे हमें दूसरे देशों के साथ सहयोग करने में खुशी होगी ... हम राष्ट्रीय पहचान के मानकों के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के निर्माण में भी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना चाहते हैं। हम भविष्य में विभिन्न देशों के साथ सहयोग करने और यह तय करने के लिए उत्साहित हैं कि सशक्तिकरण का माध्यम बनने वाली डिजिटल पहचान दुनिया भर में उपलब्ध हो।"

उन्होंने कहा कि भारत में 99.5 प्रतिशत आबादी के पास अब आधार नंबर है और विभिन्न लेनदेन को सत्यापित करने के लिए दैनिक आधार पर पांच करोड़ प्रमाणीकरण किया जाता है। इससे पहले गर्ग ने गुरुवार को एक अलग कार्यक्रम में कहा था कि यूआईडीएआई अन्य देशों में आधार संरचना के निर्माण के लिए विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र के साथ काम कर रहा है।

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