नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व बैंक ने देश में डिजिटल करेंसी के विनियमन को लेकर सरकार को एक अहम प्रस्ताव दिया है। रिजर्व बैंक का प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को भी बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए यानी डिजिटल करेंसी को भी 'बैंक नोट' की तरह देखा जाए। इसके लिए आरबीआई ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। सरकार ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। सरकार की ओर से बताया गया है कि आरबीआई ने अक्टूबर में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का प्रस्ताव रखा था। अक्टूबर में आरबीआई की तरफ से अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। .
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि आरबीआई ने अक्टूबर में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का प्रस्ताव रखा था। एक लिखित जवाब में पंकज चौधरी ने बताया कि सीबीडीसी के आने से कई फायदे होंगे, जैसे लोगों की कैश पर निर्भरता कम होगी, ट्रांजैक्शन कॉस्ट कम होने से अधिकार बढ़ेगा, सेटलमेंट का रिस्क कम होगा। मंत्रालय ने कहा कि इससे ज्यादा मजबूत, विश्वसनीय, और लीगल टेंडर पर आधारित पेमेंट ऑप्शन तैयार होगा।
साथ ही मंत्रालय ने अपने जवाब में यह भी बताया कि इससे जुड़े कुछ रिस्क भी हैं, जिनका संभावित फायदों की तुलना में आकलन करना आवश्यक है।
बिटकॉइन को मुद्रा के तौर पर मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं
वहीं, बिटकॉइन को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अपने जवाब में कहा कि सरकार के पास बिटकॉइन को मुद्रा के तौर पर मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। दरअसल, वित्त मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास देश में बिटकॉइन को मुद्रा के तौर पर मान्यता देने का कोई प्रस्ताव है? इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा, ”नहीं,सर”। वहीं, वित्त मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकार कोई जानकारी है कि देश में बिटकॉइन ट्रांजैक्शन में लगातार इजाफा हो आ रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बिटकॉइन से संबंधित आंकड़े नहीं जुटाए जाते हैं।
बता दें सरकार संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने के साथ आरबीआई के अपने डिजिटल करेंसी को शुरू करने के लिये एक बिल लाने जा रही है। माना जा रहा कि इस बिल के जरिये सरकार कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा सकती है।