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मुंबई (जनादेश ब्यूरो): कोविड-19 संक्रमण घटने, अर्थव्यवस्था में सुधार और खपत बढ़ने के बाद माल ढुलाई का कारोबार भी तेजी पकड़ने लगा है। अक्तूबर तिमाही में ट्रांसपोर्टर्स ने भी अधिकतर रूट पर माल भाड़े में इजाफा किया। बावजूद इसके डीजल की महंगाई ने उनकी कमाई पर ब्रेक लगा दिया। घरेलू रेंटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया कि मालभाड़ा बढ़ाने के बावजूद ट्रांसपोर्टर्स का मुनाफा कम हुआ है। 

32 प्रमुख रूटों पर क्रिसिल ने एक साल सर्वे के बाद बनाई रिपोर्ट

क्रिसिल के अनुसार, अक्तूबर 2020 के बाद से हर दो महीने पर देशभर के प्रमुख 32 माल ढुलाई रूट पर भाड़े का अध्ययन किया। इसमें पता चला कि पिछले साल के लॉकडाउन को छोड़ दिया जाए तो हर तिमाही क्रमिक रूप से मालभाड़े में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं अध्ययन से यह भी पता चलता है कि डीजल के दाम में हुए इजाफे के मुकाबले मालभाड़ा ज्यादा बढ़ाया गया।

65 फीसदी खर्चा डीजल पर आता है ट्रांसपोर्टर के कारोबार में

अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए ट्रांसपोर्टर्स ने प्रमुख 159 रूट पर फेरे भी बढ़ा दिए, जो फरवरी में 122 रूट तक सीमित थे। बावजूद इसके ट्रांसपोर्टर्स के पास कुल जमा नकदी कारोबार की तुलना में 17 फीसदी ही रही। इस कारण कर्जदाता उन्हें वित्तीय मदद देने में भी हिचक रहे हैं। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट कारोबार में 65 फीसदी खर्चा सिर्फ डीजल का ही रहता है।

तीन साल से लगातार बढ़ रहा दबाव

पिछले दो-तीन साल से घरेलू ट्रांसपोर्ट कारोबार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। पहले 2019 में नया एक्सेल लोड नियम लागू हुआ, जिससे ट्रकों में सामान लादने की सीमा तय कर दी गई। इसके बाद 2020 में बीएस-6 मानक आने से नए ट्रकों की कीमत 10-15 फीसदी बढ़ गई और ट्रांसपोर्टर पर लागत का बोझ बढ़ा। बीते साल कोरोना महामारी ने दस्तक दी और अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट के साथ इस कारोबार को भी तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

85 फीसदी रूट पर बढ़ा मालभाड़ा

अक्तूबर में 80-85 फीसदी रूटों पर ट्रांसपोर्टर ने मालभाड़ा बढ़ाया, जो अगस्त के मुकाबले काफी ज्यादा रहा। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सुधार के साथ सीमेंट, औद्योगिक उत्पाद व कृषि उत्पादों की ढुलाई में भी तेजी आई। हालांकि, कपड़ा क्षेत्र अब भी संघर्ष कर रहा है।

गारंटी वाले कर्ज योजना के तहत बड़े ट्रांसपोर्टर को तो वित्तीय मदद मिल जा रही, लेकिन छोटे कारोबारियों अब भी परिचालन पूंजी जुटाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। हालांकि, इस बीच सरकार के उत्पाद शुल्क घटाने से ट्रांसपोर्टर को कुछ राहत मिलने की उम्मीद जरूर है।

 

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