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नई दिल्ली: केंद्र सरकार अगले छह महीने में 500 और दवाओं पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के इस कदम का असर 1500 दवाओं निर्माण कंपनियों पर पड़ सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मंत्रालय कम से कम 6000 से ज्यादा दवाओं का आकलन कर रही है। इनमें कम से कम 1000 से ज्यादा एफडीसी (फिक्स-डोज कांबिनेशन) हैं। एक अधिकारी ने बताया कि 1000 से अधिक मामलों में प्रारंभिक सबूत मिले हैं कि ये पूरी तरह से औचित्यहीन हैं। हालांकि कुछ मामलों में आकलन पूरा नहीं हुआ है। 500 मामलों में कुछ और दस्तावेजों का इंतजार किया जा रहा है। मंत्रालय का कहना है कि हमारा उद्देश्य दवा बाजार में सुरक्षित दवाइयों को रखना है और असुरक्षित-हानिकारक को बाहर करना है। मंत्रालय का कहना है कि ये दवाएं गली-मोहल्लों में आसानी से मिल जाती हैं। इससे लोग बिना डॉक्टर की सलाह के भी खरीद लेते हैं जोकि सही नहीं है।

सरकार का कहना है कि कई दवाओं को सीडीएससीओ से मंजूरी ही नहीं हैं और कंपनियां हानिकारण मिश्रण के बावजूद धड़ाधड़ बिक्री करती रहती हैं। ये ऐसी दवाएं हैं जिनमें दो या इससे अधिक दवाओं का निश्चित मात्रा (फिक्स-डोज कांबिनेशन) में मिश्रण होता है और इससे सेहत को खतरा होता है। जबकि इनके सुरक्षित विकल्प हैं। ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है और ये लिवर के लिए भी हानिकारक है। एफडीसी से तैयार होने वाले एंटीबायोटिक के ज्यादा सेवन से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। आम डॉक्टर मरीजों को ऐसी दवाएं देते हैं और ये दवाएं दवा दुकानों पर आसानी से मिल जाती हैं। इससे पहले भी सरकार ने 2007 में ऐसी दवाओं पर रोक लगाई थी। उस समय सरकार ने 294 दवाओं पर रोक लगाई थी, लेकिन दवा कंपनियां अदालत चली गई थी और वहां से राहत पा गई थीं। दो या दो से अधिक मिश्रणों से तैयार दवाओं के शरीर पर होने वाले नुकसान को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे कई देशों में इनकी बिक्री की अनुमति नहीं है। प्रॉक्टर एंड गैंबल ने प्रतिबंध के बाद अपने लोकप्रिय ब्रांड विक्स एक्शन 500 एक्स्ट्रा के निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी है। यह दवा मार्केट में 33 साल पहले उतारी गई थी। इसके अलावा मार्केट में 25 साल से बिक रही कोरेक्स और फेनेसिडिल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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