नई दिल्ली: गरीबों को दी जाने वाली सब्सिडी पर नीतिगत नजरिये से सबका ध्यान चला जाता है लेकिन सरकार की कई ऐसी नीतियां हैं जिससे संपन्न वर्ग को भी अच्छा-खासा लाभ होता है। लघु बचत योजनाओं तथा रसोई गैस, रेलवे, बिजली, विमान ईंधन, सोना तथा केरासिन पर कर राहत या सब्सिडी से करीब एक लाख करोड़ रुपये का फायदा हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धनाढ्यों को मिलने वाली कर छूट का मामला उठाये जाने के बाद समीक्षा में यह बात कही गयी है। प्रधानमंत्री ने पिछले महीने गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी तथा धनी लागों को मिलने वाली कर छूट की तुलना करते हुए कहा था, ‘जब लाभ किसानों या गरीबों को दिया जाता है, विशेषज्ञ एवं सरकारी अधिकारी इसे आम तौर पर सब्सिडी कहते हैं। लेकिन जब इसका लाभ उद्योग या वाणिज्य को मिलता है तो उसे सामान्य रूप से ‘प्रोत्साहन’ या ‘सहायता’ कहते हैं।
हमें स्वयं से यह पूछना चाहिए कि क्या भाषा में यह अंतर हमारे व्यवहार में भी झलकता है? आखिर समृद्ध लोगों को मिलने वाली सब्सिडी को सकारात्मक रूप से क्यों दिखाया जाता है?’ संसद में आज पेश वित्त वर्ष 2015-16 आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है कि कर प्रोत्साहन पर आधारित नीतियों से न केवल गरीब लोग बल्कि आय वितरण के मामले में सबसे ऊपर का तबका भी लाभान्वित हो रहा है। इसमें सात क्षेत्रों, पीपीएफ समेत लघु बचत योजना, मिट्टी का तेल, रेल भाड़ा, बिजली, एलपीजी सिलेंडर तथा विमान ईंधन (एटीएफ) में दी जा रही सब्सिडी (छूट और प्रोत्साहन) का जिक्र किया गया है जिससे बड़ी संख्या में संपन्न वर्ग के लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। समीक्षा में कहा गया है कि समृद्ध लोगों द्वारा किये गये उपभोग के आधार पर सोना, किरोसीन, एलपीजी, बिजली, रेलवे तथा एटीएफ पर प्रभावी सब्सिडी या छूट 91,350 करोड़ रुपये है। इसमें अगर छोटी बचत योजनाओं में केवल पीपीएफ को जोड़ दिया जाए तो कुल सब्सिडी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। धनी लोगों को इन छह वस्तुओं में सबसे अधिक सब्सिडी एलपीजी पर मिलती है जो 40,151 करोड़ रुपये के बराबर है। इसके बाद क्रमश: बिजली (37,170 करोड़ रुपये), केरोसीन (5,501 करोड़ रुपये), सोना (4,093 करोड़ रुपये), रेलवे (3,671 करोड़ रुपये) तथा एटीएफ (762 करोड़ रुपये) का स्थान है। समीक्षा में इस बारे में विस्तार से बताया गया है कैसे सब्सिडी योजना से अमीर लाभान्वित हो रहे हैं। उदाहरण के लिये इसमें कहा गया है कि एलपीजी ग्राहको को (जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार) 14.2 किलो के सिलेंडर पर 238.51 रुपये की सब्सिडी प्राप्त करते हैं। यह सब्सिडी दर का 36 प्रतिशत (बाजार मूल्य एवं सब्सिडी की राशि का अनुपात) है। इसमें से 91 प्रतिशत सब्सिडी समृद्ध लोगों को प्राप्त होता है क्योंकि कुल खपत में उनकी हिस्सेदारी करीब 91 प्रतिशत है जबकि रसोई गैस की सब्सिडी का केवल 9.0 प्रतिशत हिस्सा ही गरीबों को जाता है। निष्कर्ष में कहा गया है कि सरकार के कई कदम ऐसे हैं जिससे समाज के समृद्ध तबके को लाभ होता है। कई मामलों में यह सहायता स्पष्ट रूप से सब्सिडी का रूप ले लेती है जिसकी मात्रा काफी अधिक हैं। राजकोषीय एवं आर्थिक कल्याण संबंधी दृष्टिकोण से इनमें सुधार करना बेहतर होगा। मात्र छह वस्तुओं के संदर्भ में समृद्धों को करीब एक लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी देने और छोटी बचत योजनाओं के प्रोत्साहन से सरकारी धनराधि का अधिक दुरूपयोग होता है और जिनको इसका लाभ मिलना चाहिए, वे इससे वंचित रह जाते हैं।