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नई दिल्ली: एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले 20 माह में पेट्रोल के दाम 16 प्रतिशत घटकर 60 रुपये प्रति लीटर पर आए हैं, जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम दो-तिहाई तक गिर चुके हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा मई, 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चे तेल का भारतीय खरीद मूल्य 106.85 डॉलर प्रति बैरल था, जो कि इस महीने 29.80 डॉलर प्रति बैरल पर है। दूसरी तरफ मई 2014 में जब बीजेपी सरकार सत्ता में आई थी, पेट्रोल का दाम 71.41 रुपये प्रति लीटर था। अब यह 59.95 रुपये लीटर है। इसी प्रकार डीजल का खुदरा मूल्य दिल्ली में 55.49 रुपये लीटर था, जो अब 44.68 रुपये प्रति लीटर है। प्रधान ने बताया कि मई, 2014 से अब तक सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 12 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 13.77 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है।

एक मई 2014 को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर था, जो कि अब 21.48 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी प्रकार डीजल पर तब 3.56 रुपये लीटर था और इस महीने यह 13.77 रुपये प्रति लीटर है। इस दौरान पेट्रोल के दाम में जहां 11.46 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई, वहीं उत्पाद शुल्क के रूप में सरकार ने 12 रुपये का राजस्व जुटाया है। इसी प्रकार डीजल में खुदरा दाम में जहां 10.81 रुपये प्रति लीटर दाम कम हुए हैं, वहीं उत्पाद शुल्क में 10.21 रुपये प्रति लीटर वृद्धि की गई। प्रधान ने कहा कि इसे के साथ ही कई राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) भी बढ़ाया है। सरकार ने पेट्रोल के दाम 26 जून, 2010 को नियंत्रणमुक्त कर दिए थे, जबकि डीजल के दाम 19 अक्टूबर, 2014 को बाजार पर छोड़ दिए गए थे। उसके बाद से तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय मूल्य और अन्य बाजार परिस्थितियों के अनुरूप तय करते रहे हैं।

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