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नई दिल्ली: शेयर बाजार में आई हाल की तेज गिरावट को वैश्विक कारकों से जोड़ते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और निवेशकों को निवेश करते समय भारतीय अर्थव्यवस्था की निहित शक्ति को ध्यान में रखना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक नरमी जरूर है पर सरकार आर्थिक वृद्धि में सहायक नीतियां जारी रखेगी। गौरतलब है कि बंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स गुरुवार को 807.7 अंक गिर गया था। आज यह बाजार बंद होने से पहले करीब 100 अंक ऊपर चल रहा था। जेटली ने कहा, ‘इस समय प्रतिक्रिया में निवेश करते समय भारतीय बाजार की अंतर्निहित शक्ति को ध्यान में रखना समझदारी होगी।’ उन्होंने कहा कि निवेशकों के लिए वैश्विक घटनाओं को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाना ठीक नहीं होगा। ताजा गिरावट के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि बड़े वैश्विक बाजारों में भारी बिक्री का जो सिलसिला शुरू हुआ उसका भारत पर भी असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘इसके कई कारण हो सकते है जो भारत से बाहर के हैं।’

उन्होंने इसमें अमेरिकी संघीय बैंक की ब्याज दर, यूरोप के घटनाक्रम और अमेरिका में नरमी की आशंका जैसे कारकों को गिनाया। उन्होंने कहा, ‘अब ये वैश्विक कारक बने रहेंगे तथा इन देशों को वैश्विक स्तर पर इन कारकों का मुकाबला करना होगा।’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार बैंकों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए और कदम उठा रही है ताकि वे अपने फंसे कर्ज की वसूली कर सकें और इस समस्या पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। जेटली ने नार्थ ब्लॉक में संवाददाताओं से कहा, ‘दिवाला कानून पर सक्रियता से विचार हो रहा है। सरकार बैंकों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए कुछ और कदमों पर विचार कर रही है ताकि वे (बैंक) एनपीए की वसूली करने की स्थिति में हों।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में इस समस्या को शीघ्र ही काबू में कर लिया जाएगा।’ एनपीए समस्या का ज्रिक करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह ऋण है जो कि इन बैंकों ने किसी समय में दिया था और सोची समझी नीति के तहत यह माना जा रहा है कि बैलेंस शीट को पारदर्शी होनी चाहिए। बैंक कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए सभी संभव कदम उठाने जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न नीतियों के जरिए बैंकों को एनपीए की वसूली में सक्षम बनाया है। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक बैंकों का सकल एनपीए सितंबर में बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रपये हो गया जो कि मार्च में 2.67 लाख करोड़ रपये था। सार्वजनिक बैंकों की स्थिति के बारे में मीडिया के एक वर्ग में ‘बढ़ा-चढ़ाकर लिखे जाने’ का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा, ‘किसी भी मामले में समस्या को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए कि किसी तरह की घबराहट फैले।’

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