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न्यूयॉर्क: फेसबुक के निदेशक मंडल के सदस्य मार्क एंड्रीसन ने आज (बुधवार) इंटरनेट शुल्क पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले को ‘उपनिवेशवाद विरोधी’ सोच करार दे कर एक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि देश ब्रिटेन के अधीन रहता तो आज उसकी स्थिति बेहतर होती। सिलिकॉन वैली के अग्रणी उद्यम पूंजी निवेशक एंड्रीसन और उनके भागीदारी बेनेडिक्ट इवान्स ने दूरसंचार नियामक ट्राई द्वारा फेसबुक के फ्री बेसिक्स और विवेदकारी डाटा दर वाली अन्य योजनाओं पर प्रतिबंध लगाये जाने के खिलाफ अपनी खीझ ट्वीटर पर जाहिर की। ट्राई ने व्यवस्था दी है कि कोई सेवा प्रदाता इंटरनेट की सामग्री के आधार पर ग्राहकों के लिए डटा की दरें अलग-अलग नहीं रख सकता।

ट्राई ने इसके खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी किया है और नेट निरपेक्षता की वकालत करने वालों के बीच उसके निर्णय की अभूतपूर्व सराहना हुई है। इस पहल को नेट निरपेक्षता के लिए विजय करार दिया गया जिसके तहत सभी इंटरनेट वेबसाइट तक समान पहुंच होगी। एंड्रीसन ने ट्विटर पर एटपीमार्का नाम से अपने संदेश में कहा, उपनिवेशवाद विरोधी सोच दशकों से भारतीय जनता के लिए आर्थिक तौर पर विनाशकारी रही है। अब क्यों रोका जाए? उन्होंने कहा, यह अपनी जनता के हितों के खिलाफ भारत सरकार के आत्मघाती निर्णयों की श्रृंखला की एक और कड़ी है। एंड्रीसन के भागीदार होरोविट्ज एवान्स ने ट्विटर पर कहा, विचारधारा के आधार पर विश्व की सबसे गरीब जनता को थोड़ा मुफ्त इंटरनेट संपर्क से महरूम रखना मुझे नैतिकता के आधार पर गलत लगता है। इन टिप्पणियों की सासल साइटों पर भारी अलोचना हुई है। कुछ लोगों ने फेसबुक की फ्री बेसिक्स योजना को इंटरनेट उपनिवेशवाद करार दिया। सईद अंजुम ने पलटवार करते हुए कहा कि एंड्रीसन का कहने का अर्थ है कि उपनिवेशवाद आर्थिक रूप से हमेशा बेहतर होगा। मूल निवासियों को मदद लेना सीखना चाहिए। एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया, अब फेसबुक के निदेशक मंडल के सदस्य सुझा रहे हैं कि भारत का उपनिवेश (औपनिवेशिक शासन के तहत) रहना अच्छा था और हमें फेसबुक को ऐसा करते रहने देना चाहिए। किन्ही गायत्री जयरमण ने कहा है कि ऐसी टिप्पणी करने वाले अपने आप को पक्के रंग वाले भारत (ब्राउन इंडिया) के नए ईस्ट इंडिया कंपनी के उपनिवेशवादी रक्षक के तौर पर देखते हैं। आलोचनाओं के बाद एंड्रीसन ने अपना ट्वीट हटा लिया। बाद में उन्होंने इस चर्चा से अपने आपको दूर करते हुए कहा, मैं भारत की आर्थिक नीति या राजनीति पर भावी चर्चा से हाथ वापस खींच रहा हूं। आप लगे रहें। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने भी ट्राई के निर्णय पर निराशा जाहिर की थी।

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