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नई दिल्ली: इजरायल पिछले एक साल से हमास, हिजबुल्लाह और ईरान से लगातार संघर्ष में है। इस संघर्ष की वजह से मिडिल ईस्ट में अशांति फैली हुई है। इसका असर सऊदी अरब और इजरायल सामान्यीकरण समझौते पर भी पड़ा है।

ईरान के साथ संबंध मजबूत कर रहा है सऊदी अरब

पहले माना जा रहा था कि सामान्यीकरण समझौते मध्य-पूर्व की स्थिति में बदलाव हो सकता है। लेकिन इस संघर्ष की वजह से अब सऊदी अरब अपने पारंपरिक कट्टर दुश्मन ईरान के साथ संबंधों को बेहतर बना रहा है। हमास नेता याह्या सिनवार की हत्या के बाद इजरायल-सऊदी अरब सामान्यीकरण समझौता भी अब ठंडे बस्ते में चला गया है।

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इराक और ओमान सहित क्षेत्र के अन्य देशों की यात्रा करने से पहले सऊदी अरब का दौरा किया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण को लेकर भी बात हुई थी। इस महीने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने खाड़ी देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की थी। इस बैठक में खाड़ी देशों ने ईरान को यह आश्वासन दिया कि इजरायल के साथ उसके युद्ध में वो तटस्थ रहेंगे।

सऊदी क्राउन ने उठाई थी फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण का मुद्दा

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जब तक इजरायल फिलिस्तीनी राज्य के लिए अपने रुख को नहीं बदलते हैं, तब तक सऊदी अरब इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य नहीं करेगा।

इससे पहले 18 सितंबर को क्राउन प्रिंस ने अपने वरिष्ठ सलाहकार परिषद को संबोधित करते हुए कहा था, "सऊदी अरब स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना, जिसकी राजधानी पूर्वी येरुशलम हो, की स्थापनी के लिए अपने अथक प्रयासों को बंद नहीं करेगा। हम पुष्टि करते हैं कि सऊदी इसके बिना इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा।"

वहीं, दूसरी तरफ इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण की बात को अस्वीकार करते आए हैं। इस वजह से भी दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर नहीं हो पाए हैं।

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