ओटावा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ''कनाडा ने भारत से सहयोग करने के लिए कहा, उनका (भारत) अनुरोध सबूत मांगना था। हमने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से आगे की जांच करने और हमारे साथ सहयोग करने को कहा, क्योंकि उस समय हमारे (कनाडा) पास केवल खुफिया जानकारी थी, न कि कोई ठोस सबूत।
जस्टिन ट्रूडो ने कहा, "गर्मियों के दौरान मुझे खुफिया सेवाओं की तरफ से अवगत कराया गया था कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार शामिल थी, कोई स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय संबंध नहीं था, अगस्त में कनाडा और द फाइव आईज से खुफिया जानकारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत इसमें शामिल था। भारत के एजेंट कनाडाई धरती पर इसमें शामिल थे। हमने उन्हें बताया कि हमारी वास्तविक चिंता यह है कि आपकी सुरक्षा एजेंसियां इसमें शामिल हैं। हमारी जांच के जवाब में भारत ने प्रतिक्रिया में हमारी सरकार के खिलाफ अपने हमलों को दोगुना कर दिया। भारत ने हमारी सरकार और शासन को कम आंका, ये स्पष्ट संकेत थे कि भारत ने हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया है।
भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने पर बोले ट्रूडो
विदेशी हस्तक्षेप आयोग में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, मोदी सरकार के विरोधी कनाडाई लोगों की जानकारी भारत सरकार को उच्चतम स्तर पर दी गई जिसके बाद लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों के माध्यम से भेजी गई जानकारी के परिणामस्वरूप कनाडाई लोगों के खिलाफ हिंसा हुई। हम भारतीय राजनयिकों से पूछताछ करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपनी राजनयिक प्रतिरक्षा को नहीं छोड़ा, इसलिए हमें उन्हें जाने के लिए कहना पड़ा।
भारत सरकार से कांग्रेस ने रूख स्पष्ट करने की थी मांग
वहीं इधर भारत में कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि सरकार को कनाडा और अमेरिका की तरफ से लगाए गए उन आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, जो भारत की वैश्विक छवि को धूमिल कर रहे हैं और विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष को पूरी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा की रक्षा करना एक साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने एक्स पर कहा, कानून के शासन में विश्वास रखने वाले और उसका पालन करने वाले देश के रूप में हमारे देश की अंतरराष्ट्रीय छवि खतरे में है और यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे बचाने के लिए मिलकर काम करें।