नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की जनरल असेंबली (यूएनजीए) में शहबाज शरीफ के भाषण के बाद पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवाद का पाकिस्तान का निरंतर समर्थन कर रहा है। इसे लेकर उसे अनिवार्य रूप से परिणाम भुगतने होंगे।
आपको बता दें कि यूएनजीए में पाकिस्तान के पीएम ने अपने भाषण के दौरान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था। साथ पाकिस्तान के पीएम ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वापस लेने की बात भी कही थी। भारत ने उनकी इन टिप्पणियों पर कड़ा एतराज जताया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव भाविका मंगलनंदन ने वैश्विक आतंकवाद में पाकिस्तान की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का लंबे समय से समर्थन करता रहा है। पाकिस्तान का आतंकियों को समर्थन देने का एक लंबा इतिहास रहा है। मंगलनंदन का यह बयान शरीफ द्वारा भारत से 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वापस लेने के आह्वान के जवाब में आया है।
इस बयान में शरीफ ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था, और दोनों देशों के बीच बातचीत की उनकी मांग थी।
मंगलनंदन ने आगे कहा कि इस सभा (यूएनजीए) ने आज सुबह एक दुखद घटना देखी। आतंकवाद, नशीले पदार्थों के व्यापार और अंतरराष्ट्रीय अपराध के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा वाले सेना द्वारा संचालित एक देश (पाक) ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला करने का दुस्साहस किया है। दुनिया खुद देख सकती है कि पाकिस्तान वास्तव में क्या है।
मंगलनंदन ने पाक शरीफ के भाषण को दुस्साहसिक बताया है। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा संचालित एक देश (पाकिस्तान), जिसकी आतंकवाद के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा है। उसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला करने का दुस्साहस किया है। उन्होंने 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले और 2008 में मुंबई हमलों सहित पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा किए गए हमलों का संदर्भ दिया।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर यूएन में पाकिस्तान को घेरा हो। कुछ वर्ष पहले देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पाकिस्तान को आतंकियों का हमदर्द बताया था। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन बेखौफ अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं और उन्हें इसके लिए शह भी मिल रही है। जयशंकर ने साथ ही पाकिस्तान स्थित आतंकियों द्वारा किए गए 2008 के मुंबई आतंकी हमले, पठानकोट में वायु सेना अड्डे और पुलवामा हमले की याद दिलाते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कभी भी आंतकवादियों को पनाह नहीं देनी चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते हुए ''आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा'' विषय पर एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि प्रतिबंधित हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों में वृद्धि इस बढ़ती चिंता को सही ठहराती है।
उस दौरान जयशंकर ने कहा था कि हमारे पड़ोस में, आईएसआईएल-खोरासन (आईएसआईएल-के) अधिक ताकतवर हो गया है और लगातार अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है। अफगानिस्तान में होने वाले घटनाक्रम ने स्वाभाविक रूप से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर वैश्विक चिंताओं को बढ़ा दिया है।